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‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की हुई शुरुआत, कैलाश सत्‍यार्थी ने कही ये बात

नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा कि बाल विवाह मानव अधिकारों और गरिमा का हनन है, जिसे दुर्भाग्य से सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है. यह सामाजिक बुराई हमारे बच्चों, खासकर हमारी बेटियों के खिलाफ अंतहीन अपराधों को जन्म देती है.

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ यह एक ऐसा टॉपिक है जिसकी चर्चा देशभर में हो रही है. दरअसल नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी और लेमा जोबोई ने देश में बाल विवाह की बुराई को खत्म करने का बीड़ा उठाया है. अपने उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए इन्होंने लोगों को जगरूक करना शुरू किया है.

सत्‍यार्थी और लेमा जोबोई ने लोगों को जागरूक करने के लिए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत की जिसके सफल होने की बात कही जा रही है. इस संबंध में एक बयान जारी किया गया है जिसके अनुसार, राजस्थान के विराट नगर के बंजारा समुदाय की बहुलता वाले नवरंगपुरा गांव से सत्यार्थी और जोबोई ने इस अभियान की शुरुआत कर दी है.

कैलाश सत्‍यार्थी ने क्या कहा

बयान में कहा गया है कि ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान में दो करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सेदारी कर बाल विवाह को खत्म करने की शपथ ली है. इस कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा कि बाल विवाह मानव अधिकारों और गरिमा का हनन है, जिसे दुर्भाग्य से सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है. यह सामाजिक बुराई हमारे बच्चों, खासकर हमारी बेटियों के खिलाफ अंतहीन अपराधों को जन्म देती है. कुछ सप्ताह पहले मैंने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का आह्वान किया था.

लेमा जेबोई ने क्या कहा

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के कार्यक्रम में नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित लाइबेरिया की लेमा जेबोई ने भी बाल विवाह पर चिंता व्‍यक्‍त की. उन्होंने कहा कि बाल विवाह वैश्विक स्‍तर पर एक भयावह बुराई है। हमें मानवाधिकार की हत्‍या करने वाली इस कुप्रथा का अंत करना ही होगा.

from prabhat khabar

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