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भारत-चीन संबंधों पर सरकार की स्थिति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल.

कांग्रेस ने रविवार को संसद में भारत-चीन संबंधों पर दिए गए बयान को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए।

पार्टी ने पूछा कि क्या सरकार अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को वापस पाने के बजाय “नई स्थिति” को स्वीकार कर रही है।

मुख्य बिंदु:
कांग्रेस की मांग:

कांग्रेस ने भारत-चीन संबंधों पर संसद में व्यापक चर्चा की मांग की।
पार्टी ने आर्थिक और रणनीतिक नीति पर भी चर्चा का आग्रह किया।
जयराम रमेश के सवाल:

रमेश ने सरकार से चार प्रमुख सवाल किए।
प्रधानमंत्री के 19 जून 2020 के बयान पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई घुसा हुआ है।”
नई स्थिति पर सवाल:

रमेश ने कहा कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने 22 अक्टूबर 2024 को अप्रैल 2020 की स्थिति की बहाली की बात कही।
बफर ज़ोन पर आपत्ति:

रमेश ने कहा कि बफर ज़ोन बनने से भारतीय सैनिकों और चरवाहों को पहले की पहुंच से वंचित किया गया है।
क्या यह “नई स्थिति” को स्वीकार करना नहीं है?
चीन का रुख:

चीन ने अभी तक देपसांग और डेमचोक में असहमति समाप्त होने की पुष्टि नहीं की है।
पारंपरिक चराई अधिकारों और गश्त बिंदुओं पर स्पष्टता की मांग की गई।
संसद में बहस की मांग:

कांग्रेस ने भारत-चीन संबंधों पर संसद में विस्तृत बहस की आवश्यकता पर बल दिया।
पार्टी ने कहा कि आर्थिक निर्भरता और सीमाई स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए।
सरकार का रुख:

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ सीमाई मुद्दे का निष्पक्ष समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि रिश्ते सीमाई समझौतों के पालन और यथास्थिति में बदलाव न करने पर निर्भर करेंगे।

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