नई दिल्ली: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि भारतीय रेलवे की आर्थिक स्थिति अच्छी है और इसे बेहतर बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे ने महामारी से जुड़े आर्थिक संकट को सफलतापूर्वक पार कर लिया है और अब यात्री और माल ढुलाई दोनों में वृद्धि देखी जा रही है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय रेलवे ने करीब 2,78,000 करोड़ रुपये की आय दर्ज की, जबकि इसी अवधि में कुल व्यय 2,75,000 करोड़ रुपये रहा।
मुख्य खर्चों में स्टाफ लागत (1,16,000 करोड़ रुपये), पेंशन भुगतान (66,000 करोड़ रुपये), ऊर्जा व्यय (32,000 करोड़ रुपये) और वित्तीय लागत (25,000 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
वैष्णव ने कहा कि रेलवे अपनी आय से ही अपने खर्च पूरे कर रहा है, जो अच्छे प्रदर्शन का परिणाम है।
उन्होंने बताया कि यात्रियों का किराया सब्सिडी के तहत कम रखा जाता है और रेलवे माल ढुलाई से आय अर्जित करता है।
वास्तविक लागत प्रति किलोमीटर 1.38 रुपये है, जबकि यात्रियों से केवल 72 पैसे प्रति किलोमीटर किराया लिया जाता है।
इस तरह रेलवे 2023-24 में यात्रियों को लगभग 57,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रहा है।
वैष्णव ने कहा कि भारतीय ट्रेन किराए अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में सबसे कम हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 350 किलोमीटर की यात्रा में भारत में सामान्य श्रेणी का किराया 121 रुपये है, जबकि पाकिस्तान में 400 रुपये और श्रीलंका में 413 रुपये है।
रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे की ऊर्जा लागत 30,000-32,000 करोड़ रुपये पर स्थिर हो गई है, जो 2019 के बाद हुई बिजलीकरण परियोजनाओं का नतीजा है।
भारतीय रेलवे 31 मार्च तक दुनिया में माल ढुलाई क्षमता के मामले में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर आ जाएगा।
उन्होंने बताया कि लगभग 50,000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को बदला गया है और 12,000 से अधिक अंडरपास व फ्लाईओवर बनाए गए हैं।
रेलवे ने 14,000 पुलों का पुनर्निर्माण किया है और 41,000 लिंक हॉफमैन बुश (LHB) कोच का निर्माण किया है।
तीसरे कार्यकाल में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के कोच को एलएचबी कोच में बदला जाएगा।
इस साल करीब 1,400 लोकोमोटिव का निर्माण किया जाएगा, जिससे रेलवे की कार्यक्षमता में और वृद्धि होगी।
भारत ने अब मेट्रो कोच का निर्यात भी शुरू कर दिया है, जो रेलवे के विकास का महत्वपूर्ण संकेत है।



