भारत में कोविड से हुई मौतों की फोटोज खींचने के लिए मिला अवॉर्ड; अफगानिस्तान में गंवाई थी जान
अमेरिका के सबसे बड़े पुलित्जर पुरस्कार 2022 के विजेताओं की घोषणा सोमवार देर शाम की गई। इसमें फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी का भी नाम शामिल है। इस बार सिद्दीकी और उनके सहयोगियों अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे को भारत में कोरोना के कारण हुई मौतों की तस्वीरें खींचने के लिए सम्मानित किया गया है। सिद्दीकी ने पिछले साल अफगानिस्तान में अपनी जान गंवाई थी।
अफगानिस्तान में सिद्दीकी की मौत
पिछले साल 16 जुलाई को अफगानिस्तान के कंधार में तालिबानियों और सिक्योरिटी फोर्सेस की मुठभेड़ के दौरान भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थी। अफगान सेना स्पिन बोल्डक के मुख्य बाजार इलाके पर कब्जा करने के लिए लड़ रही थी, इसी दौरान सिद्दीकी और एक सीनियर अफगान अधिकारी मारे गए। हालांकि, इस पर तालिबान ने कहा था कि उन्हें नहीं पता कि किसकी गोलीबारी में पत्रकार मारा गया। सिद्दीकी 38 साल के थे।
2018 में मिला था पुलित्जर प्राइज
दानिश सिद्दीकी और उनकी टीम को बेहतरीन काम के लिए 2018 में पहला पुलित्जर अवॉर्ड मिला था। अपनी तस्वीरों से सिद्दीकी ने म्यामांर के रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को दिखाया था। ये तस्वीरें देखकर लोगों को रोहिंग्या संकट की गंभीरता का अंदाजा लगा था।
दानिश ने टीवी से पत्रकारिता करियर की शुरुआत की थी
दानिश मुंबई के रहने वाले थे। उन्होंने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया था। 2007 में उन्होंने जामिया के मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली थी। उन्होंने टेलीविजन से अपना करियर शुरू किया और 2010 में रॉयटर्स से जुड़ गए।
पुलित्जर पुरस्कार अमेरिका का पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार
पुलित्जर पुरस्कार अमेरिका का पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह अखबार के पत्रकारों, साहित्य और संगीत रचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को दिया जाता है। इसकी कुल 21 कैटेगरी हैं। 112 साल पहले अमेरिकी पत्रकार जोसेफ पुलित्जर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय को करीब साढ़े छह करोड़ रुपए की राशि दान कर दी थी। इसी पैसे से बाद में उनके नाम पर पुलित्जर पुरस्कार शुरू किया गया।
Source-Dainik Bhaskar