
शहर के कई निवासी स्वच्छ पानी के लिए सार्वजनिक नलों पर निर्भर होने को मजबूर हैं, जबकि अधिकारियों की ओर से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर लगातार उपेक्षा देखी जा रही है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत आधुनिकीकरण और उन्नयन के वादों के बावजूद, नागरिकों की स्वच्छ पानी की अपील अनसुनी की जा रही है।
शहर के विभिन्न इलाकों में पानी की कमी और दूषित पानी की आपूर्ति एक बड़ी समस्या बन गई है। कई क्षेत्रों में, खासकर पुराने श्रीनगर के हिस्सों में, नियमित पेयजल आपूर्ति का अभाव है। इससे स्थानीय लोगों को पीने और दैनिक जरूरतों के लिए दूर-दराज के सार्वजनिक नलों या बोरवेल पर निर्भर रहना पड़ता है। यह स्थिति तब है जब श्रीनगर को स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य शहरी बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना है। निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने पानी की आपूर्ति प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।
स्थानीय निवासियों ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि स्वच्छ पेयजल एक मौलिक अधिकार है, लेकिन उन्हें इससे वंचित किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से इस समस्या का तत्काल समाधान करने और सभी घरों में पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने की मांग की है। इस संकट से न केवल दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी बढ़ रही हैं। संबंधित अधिकारियों को इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने और स्थायी समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।