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 मैं ज्योति मौर्य नहीं हूं जो छोड़ दूं इन्हें… दर्द बताते हुए फफक पड़ी पत्नी, पति को गोद में लेकर कलेक्टर के पास पहुंची

यूपी की एसडीएम ज्योति मौर्य (SDM Jyoti Maurya Latest News) की कहानी सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। कथित तौर ज्योति मौर्य पर आरोप है कि एसडीएम बनने के बाद उन्होंने अपनी पति को छोड़ दिया है। इस बीच मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में एक महिला अपने दिव्यांग पति को गोद में लेकर कलेक्टर के पास पहुंची है। पति को गोद में लिए पत्नी से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मैं ज्योति मौर्य नहीं हूं कि इन्हें छोड़ दूं। वह पति की पीड़ा बताते हुए रोने लगी।

दरअसल, पति को गोद में लेकर कलेक्टर ऑफिस पहुंची महिला का नाम प्रियंका गौड़ है। प्रियंका अभी 23 साल की है और पति 30 साल के हैं। एक सड़क हादसे के बाद पति अंशुल गौड़ दिव्यांग हो गए हैं। अब खुद से वह चल नहीं सकते। ऐसे में पत्नी प्रियंका ही अंशुल के लिए सहारा है। दोनों छतरपुर जिले के लवकुश नगर क्षेत्र स्थित गांव परसानिया के रहने वाले हैं। प्रियंका गौड़ की शादी अंशुल से 2017 में हुई थी।

22 फरवरी 2019 को सड़क हादसे में अंशुल घायल हो गए थे। उनके पैर और कमर में गंभीर चोटें आई थीं। वह चलने-फिरने में असमर्थ हैं। साथ लकवा की बीमारी से ग्रस्त हैं। तभी से पत्नी अपने दिव्यांग पति को लेकर जिम्मेदारों की चौखट पर मदद की गुहार लगाने पहुंच रही है। आर्थिक तंगी से परेशान प्रियंका अपने पति को लेकर लगातार मदद की गुहार लगा रही है। हालत और परिवार की स्थिति सुधारने के लिए एक महिला लगातार जंग लड़ रही है। पर उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा।


जनसुनवाई में गोद में लेकर पहुंची

आज एक बार फिर प्रियंका गौड़ कलेक्टर की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर मदद की आसमें पहुंची। यहां कलेक्टर ने उसे मदद का भरोसा दिया है।सालों से परेशान हैं दोनों दोनों का आरोप है कि वह पिछले कई सालों से परेशान हैं। छतरपुर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार मदद मांग चुकी है। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसके लिए दोनों ने वीडी शर्मा से भी गुहार लगाई है। पति को लेकर भोपाल में सीएम से भी मिलने पहुंची थी। एक सप्ताह रुकने के बाद भी सीएम से मुलाकात नहीं हो पाई।

लाखों रुपए का है कर्जा

आर्थिक तंगी से परेशान गंभीर परिस्थिति में प्रियंका जैसे-तैसे जेवर बेचकर 1 लाख 30 हजार रुपए लेकर कानपुर पहुंची, जहां न्यूरोन हॉस्पिटल में पति अंशुल आदिवासी का इलाज कराया। वहां 1 माह 10 दिन भर्ती रहने के दौरान उसका सारा पैसा खर्च हो गया। पैसा नहीं होने की वजह से नौ जुलाई को गांव वापस आ गई। कलेक्ट्रेट के जनसुनवाई में वह पति को लेकर पहुंची थी। प्रियंका और उनके पति ने बताया कि उनपर लोगों का तीन लाख से ऊपर कर्जा हो गया है। जिसे चुकाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही इलाज के लिए पैसे नहीं बचे हैं।

अनुकंपा की नियुक्ति मांग रहा अंशुल

अंशुल ने बताया कि उसकी मां की मौत वर्ष 2015 में एक दुर्घटना में हो गई थी। उसकी मां विकासखंड गौरिहार के ग्राम कितपुरा में शासकीय हाई स्कूल कितपुरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं। जिनकी आगजनी में मौत हो गई थी। अब वह उनकी अनुकंपा नियुक्ति की मांग करता फिर रहा है। उसने जनसुनवाई में क्लेक्टर से गुहार लगाई है।

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