Jharkhand

झारखण्ड में बदलाव की वाहक बन रहीं ग्रामीण महिलाएं

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में राज्य की ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर प्रदेश को समृद्ध बनाने के लिए सरकार सखी मंडल के जरिए विकास की नई कहानी लिख रही है। झारखण्ड के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त बनाने का अभियान विगत दो वर्ष से चल रहा है, जिसका प्रतिफल अब नजर आने लगा है। राज्य की लाखों ग्रामीण महिलाएं आर्थिक तरक्की एवं सामाजिक बदलाव का इतिहास लिख रही हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झरखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी द्वारा सखी मंडल का गठन एवं क्षमतावर्धन के जरिए ग्रामीण इलाकों में बदलाव की नई दिशा दी गई है। आज हर क्षेत्र में सखी मंडल की ये बहनें अपना लोहा मनवा रही हैं। खेती, पशुपालन, उद्यमिता, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता, कौशल प्रशिक्षण समेत हर क्षेत्र में सखी मंडल की दीदियां ग्राम विकास एवं आत्मनिर्भरता को केंद्र में रखकर प्रयासरत हैं।

17 लाख महिलाओं को मिली सशक्त आजीविका

राज्य में करीब 34 लाख महिलाओं को 2.73 लाख सखी मंडलों से जोड़ा जा चुका है। सखी मंडल के जरिए ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक तरक्की के लिए सखी मंडल की उच्चतर संस्थाएं ग्राम संगठन एवं संकुल संगठन का भी गठन किया गया है। सखी मंडल से जुड़कर ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मदद के साथ सशक्त आजीविका के लिए भी मदद उपलब्ध कराई जाती है। राज्य में अब तक करीब 17 लाख से ज्यादा महिलाओं को सशक्त आजीविका के साधनों से जोड़ा गया है। उन्नत खेती, पशुपालन, उद्यमिता, वनोपज आधारित आजीविका एवं वेतन आधारित रोजगार से ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा गया है, जिससे महिलाएं आज आत्मनिर्भरता के पथ पर हैं। इन प्रयासों से राज्य में करीब 7200 उत्पादक समूहों के जरिए लाखों महिलाओं के सपनों को पंख मिला है। आज ग्रामीण महिलाएं उत्पादक कंपनियों को चला रही हैं। रेशम, लाह एवं औषधीय पौधों की खेती आधारित आजीविका से भी ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा गया है।

करीब 24 हजार महिलाओं को मिली सम्मानजनक आजीविका

माननीय मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू किए गए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान अंतर्गत करीब 24 हजार से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को हड़िया दारू बिक्री एवं निर्माण के कार्यों से अलग कर सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा गया है। मजबूरीवश हड़िया दारू बिक्री के कार्यों से जुड़ी ये महिलाएं आज बदलाव की मिसाल हैं एवं सम्मानजनक आजीविका से जुड़कर अच्छी आमदनी कर रहीं हैं। खूंटी के कर्रा की रहने वाली अनिमा बताती हैं, मजबूरीवश हड़िया बेचने का कर्य करती थी। फूलो झानो आशीर्वाद अभियान ने मुझे एवं मेरे परिवार को सम्मान की जिंदगी वापस की है। मैं दूसरी महिलाओं को भी इस अभियान से जुड़ने का सुझाव देती हूं।

पलाश ब्रांंड से 2 लाख महिलाएं हो रहीं लाभान्वित

राज्य की सखी मंडल की दीदियों के उत्पादों को बड़े बाजार से जोड़कर उनकी अच्छी आमदनी सुनिश्चित करने के लिए पलाश ब्रांड की शुरुआत की गई। ब्रांड पलाश के तहत करीब 65 उत्पादों की बिक्री  की जा रही है। इस पहल से 2 लाख से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को लाभ हो रहा है। राज्य भर में करीब 191 पलाश मार्ट विभिन्न जिलों में खोले जा चुके हैं। पलाश के उत्पाद अमेजन एवं फ्लिपकार्ट पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। आने वाले दिनों में सखी मंडल की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को पलाश से जोड़कर उनकी आमदनी में बढ़ोतरी किया जाना है।

सखी मंडल से सामाजिक विकास का सफर

राज्य में महिलाओं के खिलाफ चल रहे डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए गरिमा परियोजना के तहत कार्य किया जा रहा है। इसके तहत अब तक करीब 1185 पीड़ित महिलाओं को चिह्नित कर मुख्यधारा से जोड़ा जा चुका है। इन महिलाओं को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करते हुए सशक्त आजीविका से जोड़ा जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में फैली इन कुरीतियों को दूर करते हुए महिला सशक्तिकरण की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के स्वास्थ्य, खान-पान एवं पोषण के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। सखी मंडल की बहनों को पोषण वाटिका से जोड़ा गया है एवं उनको खाद्य विविधता पर जागरूक किया गया है। अब तक करीब 2 लाख ग्रामीण महिलाएं पोषण वाटिका से जुड़ चुकी हैं।

पीवीटीजी महिलाएं बन रहीं सशक्त

उड़ान परियोजना के तहत राज्य की पीवीटीजी महिलाओं के सशक्तिकरण की पहल रंग ला रही है। विशेष जनजातीय समूह की करीब 21 हजार ग्रामीण महिलाओं को सखी मंडल में संगठित किया गया है। करीब 17 हजार पीवीटीजी परिवारों को सरकारी सुविधाओं जैसे पेंशन, छात्रवृत्ति, राशन आदि से जोड़ा गया है। इन परिवारों में से करीब 16, 800 परिवारों को आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है। पीवीटीजी परिवारों की जरूरत के मुताबिक स्थानीय संसाधनों पर आधारित लोबिया की खेती एवं पोषण वाटिका से पीवीटीजी महिलाओं को आच्छादित किय गया है।

बदलाव की वाहक बन रहीं ग्रामीण महिलाएं

सखी मंडल से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं एक ओर जहां स्वयं सशक्त हो रही हैं, वहीं अन्य महिलाओं को सशक्त करने के लिए भी कार्य कर रही हैं। जेएसएलपीएस के जरिए राज्य में करीब 50 हजार ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक कैडर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। ये महिलाएं गांव में सेवा प्रदाता एवं एक्सपर्ट के रूप में सेवा देकर आमदनी भी करती हैं एवं ग्रामीणों की मदद भी। पशु सखी, कृषि सखी, वनोपज सखी, बैंक सखी एवं बीसी सखी जैसे कैडर आज ग्राम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सशक्त आजीविका से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने, उनको सामाजिक विकास में भागीदार बनाने एवं गांव के आर्थिक विकास की धुरी के रूप में प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। इस पहल से ग्रामीण महिलाएं आज गांव में समृद्धि की नई कहानी लिख रही हैं एवं आर्थिक विकास की धुरी बन चुकी है।

महिला सशक्तिकरण के जरिए गरीबी उन्मूलन की दिशा में झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी प्रयासरत है। उन्नत खेती, उद्यमिता, वनोपज आधारित आजीविका समेत कई अभिनव प्रयास ग्रामीण महिलाओं की सशक्त आजीविका के लिए किए गए है। सखी मंडलों के जरिए जेएसएलपीएस लगातार ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए संकल्पित है।    

Source : IPRD

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