रांची: झारखंड पुलिस ने माओवाद के खिलाफ अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए ऐलान किया है कि वह बारिश से पहले ही सारंडा के दुर्गम जंगलों से नक्सलियों का सफाया कर देगी। राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार ने भले ही मार्च 2026 की समय-सीमा तय की हो, लेकिन झारखंड पुलिस इससे पहले ही लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी।
सारंडा जंगल, जो लंबे समय से माओवादियों का गढ़ माना जाता है, अब पुलिस के विशेष अभियान के केंद्र में है। डीजीपी ने बताया कि इस इलाके में सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और ड्रोन व तकनीकी संसाधनों की मदद से लगातार निगरानी रखी जा रही है।
उन्होंने कहा, “हम हर हाल में जून से पहले सारंडा को माओवादियों से मुक्त कराना चाहते हैं ताकि बरसात के समय इलाके में विकास कार्य भी शुरू हो सकें। माओवादी अक्सर बारिश के मौसम में दुर्गम इलाकों में छिप जाते हैं, इसलिए उससे पहले ही कार्रवाई तेज कर दी गई है।”
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन दिनों चलाए जा रहे सघन तलाशी अभियानों में कई अहम ठिकानों को ध्वस्त किया गया है और माओवादियों के सहयोगियों को भी चिन्हित कर कार्रवाई की जा रही है। स्थानीय ग्रामीणों से भी संवाद बढ़ाया जा रहा है ताकि माओवादी नेटवर्क की कमर तोड़ी जा सके।
गृह विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में माओवाद का ग्राफ लगातार नीचे आ रहा है और अब कुछ ही चुनिंदा इलाके बचे हैं जहां सक्रियता दिखाई देती है।
डीजीपी ने भरोसा जताया कि राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से बहुत जल्द झारखंड माओवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं, बल्कि विकास और विश्वास की भी जीत होगी।



