World

संसद का ऐसा सिक्यॉरिटी सिस्टम! 45 मिनट का पास लेकिन दो घंटे गैलरी में रहे सागर और मनोरंजन

लोकसभा में दो सिरफिरों के हंगामे के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठे हैं। सवाल है कि आखिर किसी विजिटर को संसद परिसर और फिर लोकसभा या राज्यसभा की गैलरी में प्रवेश देने से पहले किस तरह की जांच प्रक्रिया से गुजरनी पड़ती है? सवाल है कि क्या जांच प्रक्रिया इतनी कमजोर है कि दो लोग जूतों में कलर स्मोक स्टिक छिपाकर लोकसभा पहुंच गए? इन सवालों के बीच एक और चौंकाने वाली बात सामने आई जिससे पता चलता है कि संसद की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। जांच में पता चला है कि सागर और मनोरंजन के पास 45 मिनट तक ठहरने का ही विजिटर पास था, लेकिन वो दोनों 2 घंटे तक लोकसभा की दर्शक दीर्घा में ठहरे और आखिर में वहां अफरा-तफरी मचा दी। विपक्ष भी इन्हीं सवालों को लेकर सरकार को संसद में घेर रहा है। इसी रस्साकस्सी में गुरुवार को दोनों सदनों की कार्यवाही रोकनी पड़ी। टीएमसी सांसद डेरेक ओ-ब्रायन को सभापति जगदीप धनखड़ ने जारी सत्र के बाकी हिस्से के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया है।

रेकी में ही लग गया था सिक्यॉरिटी सिस्टम में खामी का पता

चिंता की बात है कि इतने भव्य संसद भवन का सिक्यॉरिटी सिस्टम कितना लचर है इसका अंदाजा सिरफिरे समूह के उस व्यक्ति ने तुरंत लगा लिया था जिसने रेकी की थी। उसने पहली बार मानसून सत्र के दौरान और फिर 18 सितंबर को जब संसद के विशेष सत्र के दौरान नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ था। उसे रेकी में ही पता चल गया था कि संसद भवन में प्रवेश देने से पहले होने वाली जांच में जूते नहीं खुलवाए जाते हैं। तभी सिरफिरों के समूह ने जूतों में धुआं छोड़ने वाली कलर स्टिक ले जाने का प्लान बना लिया और वो इसे अंजाम तक पहुंचाने में सफल भी रहे। मनोरंजन और सागर ने दर्शक दीर्घा से लोकसभा हॉल में प्रवेश किया था। दोनों ने कर्नाटक के मैसूरु से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर अपना विजिटर पास जारी करवाया था। लेकिन दोनों को सिर्फ 45 मिनट तक ठहरने की ही अनुमति थी, लेकिन दोनों दो घंटे रुके। वहीं, नीलम और शिंदे संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

संसद की लचर सुरक्षा के सवाल पर घिरी सरकार

बहरहाल, सीआरपीएफ डीजी अनिश दयाल के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन कर दिया गया है और आरोपियों पर आईपीसी और यूएपीए की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। वहीं, आठ पार्लियामेंट स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि, विपक्ष संसद की सुरक्षा में भारी खामी उजागर होने के बाद सरकार पर हमलावर है। संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में गुरुवार को जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्य सुरक्षा के मुद्दे पर गृहमंत्री के बयान की मांग कर रहे थे। हंगामा के कारण राज्यसभा की कार्रवाई 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, आप, समेत कई विपक्षी पार्टियों के सांसद सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा को लेकर नारेबाजी करते रहे।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ-ब्रायन हुए निलंबित

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ-ब्रायन को सभापति ने तुरंत सदन से निकल जाने का आदेश दिया। संसद की सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए विपक्ष के 28 सदस्यों ने नोटिस दिए थे, लेकिन सभापति ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद विपक्ष के सांसद सभापति के आसन के ठीक सामने वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। सभापति ने नारेबाजी कर रहे सांसदों से अपनी सीट पर वापस जाने को कहा। लेकिन अपना विरोध जाता रहे सांसद इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने ‘गृहमंत्री सदन में आओ’ ‘जवाब दो जवाब दो’ के नारे लगाए। इस दौरान सभापति ने नारेबाजी कर रहे सांसदों से नाराजगी जताते हुए उन्हें वापस अपनी सीट पर जाने को कहा लेकिन विरोध कर रहे सांसद नहीं माने और लगातार नारेबाजी करते रहे। इसके बाद सदन की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा। सदन में हंगामा बढ़ता गया और करीब 11 बजकर 20 मिनट पर राज्यसभा की कार्यावाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

कांग्रेस सासंद की मांग- संयुक्त समिति से हो जांच

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने गुरुवार को 13 दिसंबर की संसद की सुरक्षा चूक की जांच के लिए पुलिसिंग, सुरक्षा और कानून में अनुभव वाले सदस्यों वाली संसद की एक संयुक्त समिति के गठन की मांग की है। एक्स पर एक पोस्ट में तिवारी ने कहा, ’13 दिसंबर, 2023 की घटनाओं की समवर्ती जांच के लिए पुलिस, सुरक्षा और कानून में पूर्व अनुभव रखने वाले सदस्यों से युक्त संसद की एक संयुक्त समिति गठित की जानी चाहिए।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button