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मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश): वर्ष 2013 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े एक मामले में उत्तर प्रदेश की अदालत ने रविवार को साक्ष्य के अभाव में सात आरोपियों को बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष दोषियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया, जिससे वे दोषी साबित हो सकें।
मुजफ्फरनगर दंगे, जो 2013 में हुए थे, में कई लोगों की जान गई थी और हजारों लोग बेघर हुए थे। इन दंगों को भारत के सबसे बड़े सांप्रदायिक दंगों में से एक माना जाता है। अदालत के इस फैसले ने एक बार फिर इस मुद्दे को चर्चा में ला दिया है।
इस निर्णय के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने इस फैसले पर असंतोष जताया है और कहा है कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए थी। वहीं, कुछ अन्य लोग न्यायपालिका के फैसले का स्वागत कर रहे हैं और इसे सही ठहरा रहे हैं।
इस मामले में फैसले के बाद से राजनीतिक माहौल गर्मा गया है, और दंगा पीड़ितों ने भी न्याय की मांग उठाई है।