यह प्रोजेक्ट 2,000 मेगावाट (MW) की क्षमता का है, जो सुबनसिरी नदी पर बना है। मार्च 2025 तक इसमें 750 MW बिजली उत्पादन का लक्ष्य है, जबकि मार्च 2026 तक इसे पूरी क्षमता यानी 2000 MW तक पहुंचाने की योजना है।
एनएचपीसी के एमडी बिपिन गुप्ता के अनुसार, प्रोजेक्ट का 93 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 116 मीटर ऊंचे कंक्रीट डैम का निर्माण जून 2024 में पूरा हुआ, और पावर हाउस और अन्य उपकरणों पर तेजी से काम जारी है।
मार्च 2025 में तीन टर्बाइनों से 750 MW बिजली उत्पादन शुरू होगा, जबकि बाकी टर्बाइन 2026 तक पूरी तरह चालू होंगे। एक अक्टूबर 2023 को भूस्खलन के कारण मुख्य पानी प्रवाह वाली सुरंग बंद हो गई थी, जिससे कुछ कार्यों में देरी हुई।
सुरंगों और रेडियल गेट्स का काम बारिश के बाद पूरा किया जाएगा, ताकि पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके। अनुमानित लागत अब तक रु 20,834 करोड़ रही है, जो पूरे प्रोजेक्ट के बाद रु 22,000 करोड़ तक पहुंच सकती है।
1983 में ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट का DPR पेश किया था, और 2005 में निर्माण शुरू हुआ, लेकिन विरोध के कारण 2011 में इसे रोकना पड़ा था। 2019 में इसे फिर से शुरू किया गया।