LifestyleStates

राजस्थान का अपना घर आश्रम: त्यागे गए लोगों का नया परिवार.

राजस्थान के 'अपना घर आश्रम' ने वर्षों से सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर बेसहारा और त्यागे गए लोगों का सहारा बनकर उनकी जिंदगी में नई रोशनी लाई है।

इस आश्रम में वर्तमान में 6,480 निराश्रित, जिन्हें ‘प्रभुजन’ कहा जाता है, रह रहे हैं। इनमें से अधिकतर मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, जिन्हें रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और सड़कों से लाकर आश्रम में सुरक्षित आश्रय दिया गया है।

आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि यहां लाए जाने वाले अधिकतर लोग मानसिक या शारीरिक रूप से लाचार होते हैं। कई बार उनके परिवारों का कोई पता नहीं होता, या फिर उनके परिवार उन्हें अपनाने से इनकार कर देते हैं।

सेवा और अपनापन:
आश्रम इन लोगों की देखभाल, इलाज और पुनर्वास में निस्वार्थ भाव से जुटा है। उन्हें घर जैसा माहौल देने का हरसंभव प्रयास किया जाता है, ताकि वे अपनों की कमी महसूस न करें। जो लोग स्वस्थ हो जाते हैं और अपने घर लौटना चाहते हैं, उन्हें भी परिवारों द्वारा अस्वीकार किए जाने का दर्द सहना पड़ता है।

जीवन में बदलाव:
आश्रम में प्रभुजनों को स्वावलंबी बनाने की कोशिश की जाती है। उनके लिए विशेष उपचार, ध्यान, योग और विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यहां की मानवीय सेवाओं ने न केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी पहचान बनाई है।

समाज के लिए संदेश:
डॉ. भारद्वाज का मानना है कि समाज को त्यागे गए इन लोगों के प्रति सहानुभूति और जिम्मेदारी का भाव रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि आश्रम हर साल सैकड़ों लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में सफल रहा है।

अंतिम उद्देश्य:
आश्रम का मुख्य उद्देश्य इन त्यागे गए लोगों को न केवल भौतिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा देना है। यहां का माहौल इन्हें नए जीवन की शुरुआत करने में मदद करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button