World

लालू के ‘भकचोन्हर’ से ‘आंत में दांत’, अब तो गला काटने तक पहुंच गई बिहार की सियासत

बिहार के नेताओं की जुबान पर अब लगाम नहीं है। विरोध के संयमित तरीके भी होते हैं, लेकिन वे लोगों का ध्यान उतना नहीं खींचते, जितनी तेजी से ऐसे बेढंगे बोल और उटपटांग शब्दों के प्रयोग से लोग आकर्षित होते हैं। आश्चर्य यह कि इनके शीर्ष नेता भी इसे हवा देते हैं। समर्थन ऐसे बयानों को नहीं देते, लेकिन उसी अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में शीर्ष नेतृत्व कोई कोताही नहीं करता।

लालू ने भक्त चरण को कहा था भकचोन्हर

अब से दो साल पहले लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस के दलित नेता भक्त चरण दास को ‘भकचोन्हर’ कहा था। लालू का यह बयान कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास के उस बयान पर आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा के साथ आरजेडी का गठबंधन हो गया है। दूसरे प्रदेशों के लोग भले ‘भकचोन्हर’ का अर्थ न समझें, लेकिन बिहार के भोजपुरी अंचल के लोग इसका अर्थ ठीक से समझते हैं। दरअसल मूर्ख के अर्थ में इसका प्रयोग भोजपुरी इलाके में होता है।

अब बिहार की सियासत में थूक की एंट्री

ऊटपटांग बयानबाजी से कोई दल अछूता नहीं है। जिसे जो मन में आ रहा है, बेधड़क बोल रहा है। न उसे अपने दल की छवि, सिद्धांत या उसूलों से कोई मतलब रह गया है और न व्यक्तिगत छवि की कोई चिंता है। गुरुवार को जब जेडीयू के कुछ नेता भाजपा में शामिल हुए तो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से पत्रकारों ने प्रतिक्रिया पूछी। इसी क्रम में यह भी उनसे पूछा गया कि नीतीश कुमार के भी भाजपा के साथ जाने की चर्चा है। ललन सिंह इस सवाल पर तिलमिला गए। उन्होंने कह दिया कि सात जन्म में भी यह संभव नहीं होगा। जाने की बात तो छोड़िए, भाजपा तो थूकने लायक भी नहीं रह गई है।

गला काटने और जीभ खींचने तक की चर्चा

ठाकुर प्रकरण पर तो बिहार के नेता ऐसे हमलावर हो गए हैं कि जीभ खींच लेने और सेकेंड में गर्दन काट लेने की बात होने लगी है। राजपूत नेता की छवि वाले आनंद मोहन मनोज झा की जीभ खींचने की बात कह रहे। उनके बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद अपने ही सांसद को ‘दोगलापन’ से बचने की सलाह दे रहे। भाजपा के विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह सेकेंड में गर्दन काट लेने की बात कह रहे। इसके लिए कोई अपनी पार्टी के नेता का भी ख्याल भी नहीं कर रहा।

सुप्रीमो समर्थन में, विरोध कर रहे हैं नेता

दूसरे दलों के नेता राजनीतिक लाभ-हानि देख कर इस पर कुछ बेढंगा बोल जाएं तो बात समझ में आती है, लेकिन अपने ही सुप्रीमो की अवहेलना कर नेताजी उटपटांग बोलने लगे तो आश्चर्य होता है। ठाकुर प्रकरण पर लालू यादव ने मनोज झा का बचाव करते हुए उन्हें विद्वान बताया है। आनंद मोहन के बारे में कहा है कि उन्हें न अक्ल है और उनकी शक्ल ही ऐसी है। उनके बेटे चेतन को तो अभी बुद्धि ही नहीं है। चेतन आनंद आरजेडी के ही विधायक हैं। उनकी मां लवली आनंद भी आरजेडी के साथ हैं।

‘पलटू’ और ‘आंत में दांत’ भी गूंजा था

नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया तो लालू ने ही उन्हें पलटू राम कहा था। काफी समय तक उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव उन्हें पलटू चाचा कह कर पुकारते रहे। मन नहीं भरा तो घर के बाहर पलटू चाचा की नो एंट्री का बोर्ड तक तेज प्रताप ने लगा दिया था। नीतीश के लिए लालू ने एक बार यह भी कहा था कि उनके आंत में दांत है। लालू यादव का तो यह अंदाज ही रहा है, इसलिए उनके कहने को लोग मजाक में उड़ाते रहे हैं, लेकिन अगर आरजेडी के नेता उन्हीं के तर्ज पर बयान देने लगें तो दलीय अनुशासन का अंदाजा लगाया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button