बैतूल में अनोखी परंपरा: मेघनाद बाबा और सुलोचना माता की पूजा से मिटते हैं संकट.
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक अनोखी परंपरा के तहत रावण के पुत्र मेघनाद और उनकी पत्नी सुलोचना माता की विशेष पूजा की जाती है।
यह परंपरा होली के अगले दिन से शुरू होती है और 10-15 दिनों तक चलती है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि मेघनाद बाबा और सुलोचना माता की आराधना करने से सभी प्रकार के संकट और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इस दौरान भक्तगण अपने सिर भी पटकते हैं ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
रामदास नामक एक भक्त ने बताया कि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। उनका मानना है कि उनके पूर्वज भी मेघनाद बाबा की पूजा किया करते थे।
इस पूजा के दौरान एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें भक्त कद्दू को काटकर जमीन पर फेंकते हैं। उनका विश्वास है कि ऐसा करने से बीमारियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
स्थानीय लोगों के लिए यह आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि एक उत्सव जैसा होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं और श्रद्धा भाव से मेघनाद बाबा तथा सुलोचना माता की पूजा करते हैं।
यह अनूठी परंपरा बैतूल के समाज में गहरी आस्था का प्रतीक है और हर साल इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।



