पंजाब में दहशत की कहानी : प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की भी जान ले चुका खालिस्तानी आतंकवाद, अब नए सिरे से हो रही साजिश
एक बार फिर से पंजाब को अशांत करने के लिए पाकिस्तान से साजिश रची जा रही है। पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा का नाम भी इसमें आ रहा है। हम आपको पंजाब के राज्य बनने के बाद से अब तक खालिस्तानी आतंक से जुड़ी पूरी दास्तां बताने जा रहे हैं।
देश को जब आजादी मिली तो हिन्दुस्तान के साथ पंजाब का भी बंटवारा हुआ। एक हिस्सा पाकिस्तान को और दूसरा हिंदुस्तान को मिला। आजादी के साथ ही पंजाब में पंजाबी बोलने वालों के लिए अलग राज्य की मांग के साथ पंजाबी सूबा आंदोलन शुरू हुआ। 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ये मांग मान ली। पंजाब को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़। पंजाबी बोलने वालों के लिए पंजाब, हिंदी बोलने वालों के लिए हरियाणा अस्तित्व में आया। दोनों राज्यों की राजधानी चंडीगढ़ बनाई गई। चंडीगढ़ केंद्रशासित शहर है। दोनों राज्यों के बीच इस शहर को लेकर अभी भी विवाद जारी है। नया राज्य बनने के कुछ दिनों बाद सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठने लगी।
ऐसे उठी खालिस्तान की मांग
1969 में पंजाब विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में टांडा सीट से रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार जगजीत सिंह चौहान को हार मिली। चुनाव हारने के बाद वह लंदन चला गया। वहां से वह सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाने लगा। 1971 में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक विज्ञापन जारी कर उसने लोगों से चंदा भी मांगा। तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने खालिस्तान बनाने के लिए मदद का प्रस्ताव दिया और आईएसआई को इसमें सक्रिय कर दिया। 1977 में जगजीत भारत लौटा और 1979 में वह फिर वापस चला गया। यहां उसने खालिस्तान नेशनल काउंसिल की स्थापना की।
SOURCE-AMAR UJALA