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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 43 आपराधिक मामलों.

जिनमें हुब्बल्ली दंगा आरोप भी शामिल हैं.

को वापस लेने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द किया

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अक्टूबर 2024 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें हुब्बल्ली दंगों से जुड़े मामलों सहित 43 आपराधिक मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया गया था। अदालत का यह फैसला कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के लिए एक झटका है, जिस पर CrPC की धारा 321 के तहत मनमाने ढंग से मामलों को वापस लेने का आरोप लगाया गया था।

मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की खंडपीठ ने अधिवक्ता गिरीश भारद्वाज द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिका में सरकार के इस कदम की वैधता को चुनौती दी गई थी। अदालत ने अपने फैसले में राज्य सरकार के 10 अक्टूबर, 2024 के आदेश और उसके बाद 15 अक्टूबर, 2024 की अधिसूचना को गैरकानूनी घोषित कर दिया।

अदालत ने कहा कि लोक अभियोजकों को आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्देश नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि CrPC की धारा 321 के तहत ऐसे मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार लोक अभियोजकों के पास है। अदालत ने यह भी नोट किया कि राज्य के कानून विभाग और अभियोजन एवं सरकारी मुकदमेबाजी विभाग ने भी इन 43 मामलों को वापस लेने के लिए उपयुक्त नहीं माना था। इस फैसले से अब इन हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों को वापस लेने की राज्य सरकार की कार्रवाई रुक गई है।

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