क्या यूपी में टूट रहा है विपक्षी I.N.D.I.A.? जयंत- BJP गठबंधन की सुगबुगाहट के बीच अखिलेश पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को झटका लगता दिख रहा है। दावा किया जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल की भारतीय जनता पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ रही है। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भाजपा के संपर्क में हैं। आने वाले दिनों में भाजपा के साथ राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन हो सकता है। इन कयासबाजियों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। भाजपा- रालोद गठबंधन की सुगबुगाहट ने ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज कर दी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भाजपा लगातार एक मजबूत साथी की तलाश में दिख रही है। पहले भी कई बार राष्ट्रीय लोक दल को साधने की कोशिश की गई। हालांकि, अब तक जयंत चौधरी भाजपा के साथ जाने के लिए तैयार नहीं दिख रहे थे। उनकी नीति ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को जाटलैंड में मजबूत बनाया था। अब उनके बदले रुख से इस इलाके में I.N.D.I.A. की धार कमजोर हो सकती है।
पिछले दिनों में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई। इसके बाद अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के साथ लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गठबंधन का ऐलान किया। इस ऐलान को एक तरफा माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सीटों के मुद्दे पर जयंत चौधरी को कोई वाजिब आश्वासन नहीं दिया है। दरअसल, जयंत चौधरी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के तहत कम से कम 12 सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी 4 से 5 सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार खड़ा करने का भरोसा दे रही है। सूत्रों का दावा है कि समाजवादी पार्टी ने रालोद को ऑफर दिया है कि वह अपने जिताऊ उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लेकिन, जयंत चौधरी इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।
भाजपा से गठबंधन फायदेमंद
भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी जयंत चौधरी को 4 से 5 सीटों के दिए जाने का आश्वासन मिलने का दावा किया गया है। इसके बाद जयंत चौधरी और भाजपा के बीच की नजदीकियां बढ़ने लगी हैं। 12 फरवरी को जयंत चौधरी की बागपत की रैली के स्थगित किए जाने का कारण भी यही माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के मैदान में भाजपा और रालोद एक साथ उतार सकते हैं। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा। जाट वोट बैंक का एक बड़ा वर्ग पिछले दिनों जयंत चौधरी के साथ जाता दिखा है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी 2014 के बाद पहली बार पश्चिम उत्तर प्रदेश में उस स्तर पर मजबूत नजर नहीं आ रही है। पार्टी यूपी में मिशन 80 के साथ आगे बढ़ रही है।
दावा किया जा रहा है कि अगर जयंत चौधरी एनडीए में शामिल होते हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ- साथ राजस्थान और हरियाणा में भी भाजपा की स्थिति मजबूत होगी। ऐसे में I.N.D.I.A. को एक और झटका आने वाले समय में लगने की संभावना बढ़ गई है। वहीं, भाजपा के साथ पिछली बार जब 2009 में रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा था तो 7 में से 5 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। उसके बाद से लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया है।



