AAP+कांग्रेस= BJP जीरो? दिल्ली में 7 सीटों का गुणा-गणित क्या कहता है?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कल विधानसभा के स्पेशल सत्र में दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की सभी 7 लोकसभा सीट हारने वाली है। उन्होंने साथ ही दिल्ली सर्विस बिल को लेकर भी केंद्र को लपेटते हुए हुए कहा कि दिल्ली में चुनाव राज्य को पूर्ण दर्जा दिलाने के मुद्दे पर होगा। जैसे-जैसी चुनावी साल नजदीक आता जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपना एजेंडा तय करते जा रहे हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन का हिस्सा आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली की सीटों पर डील को लेकर भी चर्चा चल रही है। हालांकि, अभी इसमें कई पेच फंसे हैं। तो क्या अगर कांग्रेस और आप दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो बीजेपी को नुकसान होगा? चलिए आंकड़ों के इस गुणा-गणित को समझते हैं।
दरअसल, 2015 में जिस तरह बिहार में जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन ने करिश्मा कर दिया था दिल्ली के सीएम केजरीवाल भी कुछ ऐसा करने की सोच रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 52 फीसदी से ज्यादा वोटों के साथ चुनाव जीतने वाली आप एक नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाह रही है। आप कोशिश में है कि कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन हो जाए तो लोकसभा में बीजेपी को मात दी जा सकती है। लेकिन क्या ये इतना आसान है? आइए 2014 और 2019 के नतीजों से समझते हैं।
सभी आंकड़े प्रतिशत में
| लोकसभा चुनाव | बीजेपी | कांग्रेस | आप | अन्य |
| 1989 | 26.2 | 43.4 | — | 30.4 |
| 1991 | 40.2 | 39.6 | — | 20.2 |
| 1996 | 49.6 | 37.3 | — | 13.1 |
| 1998 | 50.7 | 42.6 | — | 6.6 |
| 1999 | 51.7 | 42.00 | — | 6.3 |
| 2004 | 40.7 | 54.8 | — | 4.5 |
| 2009 | 35.2 | 57.1 | — | 7.7 |
| 2014 | 46.4 | 15.1 | 32.9 | 5.5 |
| 2019 | 56.9 | 22.5 | 18.1 |
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.4 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि आप को 32.9% और कांग्रेस को 15 फीसदी से थोड़ा ज्यादा वोट मिला था। इन चुनावों में आप और कांग्रेस का वोट प्रतिशत मिलाने पर बीजेपी से ज्यादा हो जाता है। लेकिन उस साल दोनों पार्टियां अलग चुनाव लड़ी थी। अगर 2014 की बात करें तो दोनों कांग्रेस और आप का वोट प्रतिशत मिलकर 48 फीसदी से ऊपर चला जाता है जो बीजेपी को उस साल मिले वोट से करीब डेढ़ फीसदी ज्यादा है। यानी 2014 में अगर आप कांग्रेस मिलकर लड़ती तो हो सकता था नतीजों कुछ और होता।



