झारखंड के CM हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने CM के करीबियों के शेल कंपनियों में इन्वेस्टमेंट पर दायर जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसे सुनवाई योग्य माना है। मेंटेनबिलिटी के बिंदु पर सरकार की ओर से दी गई दलिलों को खारिज कर दिया है।
इसके बाद राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने आदेश की कॉपी आने तक समय की मांग की है। जवाब में याचिककर्ता के वकील ने सुनवाई शीघ्र शुरू करने की मांग की। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर इसमें देर हुई तो साक्ष्य में छेड़छाड़ संभव है। मामले पर अगली सुनवाई 10 जून को होगी।
पिछली सुनवाई में 4 घंटे तक चली थी बहस
मालूम हो कि हाईकोर्ट में याचिका दायर होने पर सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट को इसकी मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का आदेश दिया था। इसके बाद 1 जून को इस मामले पर 4 घंटे की बहस हुई थी। इसके बाद आज हाई कोर्ट की तरफ से आज फैसला सुनाया गया है।
सरकार ने खारिज करने का किया था आग्रह
मामले में सरकार व CM हेमंत सोरेन की ओर से याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताते हुए खारिज करने का आग्रह किया गया था। सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने पहचान छिपाई है। हाईकोर्ट रूल के तहत याचिका दायर नहीं की गई है। 2013 में इसी तरह की एक याचिका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। इस याचिका में भी उन्हीं तथ्यों को उठाया गया है।
याचिकाकर्ता की सफाई- सारे आरोपों के डॉक्यूमेंट पेश किए हैं
वहीं, प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर दलील दी गई कि उसने अपनी पहचान शपथपत्र के जरिये दी है। जो भी आरोप लगाए गए हैं उसके दस्तावेज पेश किए हैं। ऐसे में याचिका सुनवाई योग्य है। ईडी की ओर से कहा गया है कि मनरेगा घोटाले की जांच में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जिसे कोर्ट को सौंपा गया है। इस मामले में हाईकोर्ट आदेश दे सकता है।
पिछली सुनवाई को हाईकोर्ट ने क्या कहा था
मनरेगा घाेटाले में 2010 में FIR हुई और पूजा सिंघल की गिरफ्तारी 2022 में। इससे पता चलता है कि जांच किस ढंग से चली। याचिका की वैधता पर शुक्रवार काे फैसला सुनाएंगे।
Source : Dainik Bhaskar