ऑपरेशन ऑक्टोपस की सफलता से सुरक्षाबलों में जहां उत्साह है वहीं माओवादी बैकफुट पर हैं। बूढ़ापहाड़ में ऑपरेशन की सफलता के बाद अब सुरक्षा बलों के निशाने पर कोल्हान का ट्राइजंक्शन और सारंडा का इलाका है।
झारखंड पुलिस ने बूढ़ापहाड़ से कोल्हान तक नक्सलियों पर नकेल कर दी है। ऑपरेशन ऑक्टोपस की सफलता से सुरक्षाबलों में जहां उत्साह है वहीं माओवादी बैकफुट पर हैं। बूढ़ापहाड़ में ऑपरेशन की सफलता के बाद अब सुरक्षा बलों के निशाने पर कोल्हान का ट्राइजंक्शन और सारंडा का इलाका है।
ऑपरेशन ऑक्टोपस की सफलता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि साल 2018 से सरायकेला, चाईबासा और खूंटी के ट्राइजंक्शन कुचाई में डेरा डालने वाला पतिराम मांझी उर्फ अनल इलाका छोड़कर भाग चुका है। सरकार को खुफिया जानकारी मिली है कि बीते 2 सितंबर को कुचाई में मुठभेड़ के बाद से पतिराम ने सारंडा में शरण ली है।
पतिराम को 2018 में सैक से सेंट्रल कमेटी में प्रमोट किया गया था। सेंट्रल कमेटी मेंबर बनाए जाने के बाद उसे कोल्हान के ट्राइजंक्शन इलाके की जिम्मेदारी दी गई थी। पतिराम दस्ते के खिलाफ सुरक्षाबलों ने अभियान चलाया था। 2 सितंबर को अभियान के दौरान कुचाई के सारूबेड़ा से सटे जंगल में मुठभेड़ में पतिराम के सहयोगी अमित मुंडा दस्ते के सेक्शन कमांडर काली मुंडा और रीला मारे गए थे। इस मुठभेड़ के बाद पतिराम भाग निकला था। जानकारी मिली है कि पतिराम दस्ते के साथ सारंडा में कैंप कर रहा है।
कोल्हान में एक करोड़ के इनामी का बसेरा
कोल्हान में वर्तमान में एक करोड़ के इनामी सभी तीन माओवादी रह रहे हैं। एक करोड़ का इनामी मिसिर बेसरा सारंडा में रह रहा है। प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद मिसिर बेसरा झारखंड में संगठन को लीड कर रहा है। मिसिर बेसरा के अलावा एक करोड़ का इनामी असीम मंडल का भी ठिकाना यहीं है। असीम मंडल भी कुछ माह पूर्व तक ट्राइजंक्शन में था, लेकिन अब वह चाईबासा इलाके में है। अब पतिराम भी इसी इलाके में आ चुका है।
लगातार पुलिस को झटके देता था पतिराम का दस्ता
ट्राइजंक्शन के इलाके में बीते दो तीन सालों में पुलिस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। पुलिस की तर्ज पर माओवादियों ने भी स्मॉल एक्शन टीम बनायी थी। 5 जून 2019 को पतिराम मांझी के निर्देश पर ही सरायकेला के कुकरूहाट साप्ताहिक बाजार में पुलिस बलों पर माओवादियों ने हमला किया था।
संगठन में पतिराम के बढ़ते कद से कई ने किया सरेंडर
साल 2018 में पतिराम मांझी के ट्राइजंक्शन इलाके में ठौर बनाने व संगठन में अग्रणी भूमिका मिलने के बाद कई बड़े माओवादियों ने साथ छोड़ दिया। संगठन में क्षेत्रीय व जातीय आधार पर भेदभाव व आंतरिक विवाद के कारण महाराज प्रमाणिक, बोयदा पाहन समेत कई माओवादी संगठन छोड़ चुके हैं।