इस योजना के तहत स्टेशनों की मास्टर प्लानिंग और चरणबद्ध तरीके से सुविधाओं को सुधारने का लक्ष्य रखा गया है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत स्टेशन एक्सेस, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, लिफ्ट, एस्केलेटर, प्लेटफॉर्म की सतह, सफाई, फ्री वाई-फाई, ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ जैसे स्थानीय उत्पादों के कियोस्क, यात्री सूचना प्रणाली, एग्जीक्यूटिव लाउंज और बिजनेस मीटिंग स्पेस जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
दिव्यांगजन सुविधाओं और पर्यावरण के अनुकूल समाधान शामिल।
स्टेशन के दोनों ओर शहर से जुड़ाव और मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन।
1337 स्टेशनों को इस योजना में शामिल किया गया है।
झारखंड में 57, महाराष्ट्र में 132 और मध्य प्रदेश में 80 स्टेशन शामिल।
महाराष्ट्र के लिए 4406 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश के लिए 6339 करोड़ रुपये का प्रावधान।
ट्रेनों में 12 सामान्य और नॉन-एसी स्लीपर कोच और 8 एसी कोच का प्रावधान।
600 से अधिक सामान्य कोच एलएचबी ट्रेनों में जोड़े गए।
रेल मंत्री ने कहा कि स्टेशनों को भविष्य में शहर के केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। यात्रियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है। यह रेलवे की सेवाओं को अधिक यात्री-केंद्रित बनाने का प्रयास है।



