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नीतीश के ‘हीरो अफसर’ बिहार BJP के नेताओं को फूटी आंख क्यों नहीं सुहाते? जानें

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘हीरो अफसर’ केके पाठक BJP के नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। इससे पहले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी केके पाठक को ‘देखना’ नहीं चाहते थे। अपने विवादित बयानों के कारण महागठबंधन सरकार की किरकिरी कराते थे। सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी को नसीहत देनी पड़ती थी। इसके बाद वो केके पाठक से उलझ गए। मगर, फिलहाल वो कहां हैं, कम से कम मीडिया के जरिए तो जानकारी नहीं ही मिल पाती है। अब वही हाल बिहार बीजेपी के दो बड़े नेताओं सुशील कुमार मोदी और विजय कुमार सिन्हा की है। ये लोग भी तकरीबन रोजाना केके पाठक के खिलाफ कोई ना कोई बयान देते हैं।

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स्कूलों के खाक का छान रहे केके पाठक

दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पटना में रहने की बजाय राज्य के स्कूलों का खाक छान रहे हैं। ब्लैक बोर्ड से लेकर टॉयलेट और टीचर से लेकर स्टूडेंट तक की सुविधाओं पर निर्देश देते हैं। जिस जिले में जाते हैं, वहां का पूरा सरकारी महकमा केके पाठक के पीछे खड़ा होता है। किसी कमी को देखे तो तुरंत वहीं ठीक करने के निर्देश देते हैं। खास बात ये कि समय रहते से उसे दूर भी कर लिया जाता है।

पटना का ‘पावर सेक्शन’ केके पाठक को बर्दाश्त करने की मूड में नहीं है। मगर, किसी की एक नहीं चल रही क्योंकि केके पाठक के पीछे नीतीश कुमार खड़े हैं। केके पाठक के एक्शन से सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों का परसेप्शन बदल रहा है। जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, वो केके पाठक को सिर-माथे पर बिठाए हैं। इससे सरकार की ‘इमेज’ ठीक हो रही है।

केके पाठक से खार खाए बैठे बीजेपी के नेता

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने अराजकता फैला रखी है। सरकार उन्हें समर्थन दे रही है। नीतीश कुमार अब चुप्पी तोड़े वरना स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी। अपर मुख्य सचिव के जुबान से निकले शब्द की कानून बन जा रहे हैं। शिक्षकों को प्रताड़ित करने के लिए तरह-तरह के कानून बनाए जा रहे हैं। नोटिस देकर परेशान किया जा रहा है। शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ नहीं बोल रहे हैं। अब उन्हें चुप्पी तोड़नी चाहिए।

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