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क्‍या क्‍वाड से बाहर होगा भारत? अमेरिकी नाराजगी के बाद उठ रहे सवाल, चीन की पैनी नजर

रूस यूक्रेन जंग की आंच अब केवल दो देशों तक ही सीमित नहीं है। इस युद्ध के चलते कई स्‍थापित सामरिक समीकरणों में भारी फेरबदल हुआ है। इससे दुनिया में बहुत तेजी से ध्रुवीकरण की प्रक्रिया बढ़ी है। अमेरिका के सख्‍त स्‍टैंड के कारण दुनिया दो खेमे में बंटती दिख रही है। इस युद्ध में भारत की तटस्‍थता नीति अमेरिका को अखर रही है। इसको लेकर अमेरिका कई बार प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से भारत को आगाह कर चुका है। रूस की घेराबंदी कर रहे अमेरिका व पश्चिमी देशों ने भारत के खिलाफ सख्‍त रुख अपनाया है। बाइडन प्रशासन ने कई दफे यह साफ किया है कि भारत का यह स्‍टैंड अमेरिकी कार्रवाई को प्रभावित कर रहा है। यह भी चर्चा है कि भारत के इस रुख के कारण अमेरिका क्‍वाड की रणनीति में बदलाव कर सकता है। यह आशंका जाहिर की जा रही है कि क्‍वाड में भारत की जगह दक्षिण कोरिया को रखा जा सकता है। चीन की इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या क्‍वाड के स्‍वरूप में बदलाव किया जा सकता है? क्‍या अमेरिका इस तरह का कदम उठा सकता है? क्‍या भारत क्‍वाड से बाहर हो सकता है?

दक्षिण कोरिया विस्‍तारित क्‍वाड का सदस्‍य बनने के लिए तैयार

दक्षिण कोरिया के नए राष्‍ट्रपति यून ने ऐलान किया है कि उनका देश विस्‍तारित क्‍वाड का सदस्‍य बनने के लिए तत्‍पर है। दक्षिण कोरिया के क्‍वाड में आने के बाद भी भारत जो दुनिया का दूसरा सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश है, पश्चिमी देशों के लिए भविष्‍य के लिहाज से रणनीतिक केंद्र बना रहेगा। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ हाल ही में बातचीत के दौरान बाइडन ने व्‍यापक रणनीतिक भागीदारी बनाने का प्रण किया था। इस तरह से उन्‍होंने दोनों ही देशों के बीच संबंधों में आई तल्‍खी को खत्‍म करने की कोशिश की थी। दक्षिण कोरिया के नए राष्‍ट्रपति ने यह भी संकेत दिया है कि वह अमेरिका की हवाई रक्षा प्रणाली थाड को भी अपने यहां लगाने के लिए तैयार हैं।

भारत की तटस्‍थ नीति पर सख्‍त बाइडन प्रशासन

अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई नेताओं के साथ मुलाकात के बाद भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर चेतावनी दी है। अमेरिका ने कहा है कि रूस यूक्रेन जंग में भारत की तटस्‍थता नीति से रूस के खिलाफ अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध कमजोर हो जाएंगे। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह रूस के खिलाफ घेराबंदी के लिए प्रतिबद्ध हैं। उधर, भारत भी अपने स्‍टैंड पर कायम है। भारत ने साफ कह दिया है कि अमेरिका के साथ दोस्‍ती जरूरी है, लेकिन वह रूस को नहीं छोड़ सकता है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है।

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है निश्चित रूप से रूस को घेरने में जुटे अमेरिका व इसके सहयोगी देश भारत पर भी लगातार दबाव बनाने की रणनीति अपनाए हुए हैं। यही कारण है कि क्‍वाड के दूसरे वर्चुअल शिखर बैठक के दौरान आस्‍ट्रेलिया और जापान ने एक रणनीति के साथ भारत पर रूस के विरोध में दबाव बनाया था। इस बैठक में आस्‍ट्रेलिया के पीएम स्‍काट मारिसन ने यूक्रेन पर हमले के लिए सीधे तौर पर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन को जिम्‍मेदार ठहराया था। इतना ही नहीं मारिसन ने इस घटनाक्रम को हिंद प्रशांत महासागर की स्थिति से जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों का नेतृत्‍व करने का भी प्रस्‍ताव रखा था। उन्‍होंने कहा था कि इस बात को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

2- उन्‍होंने कहा कि भारत ने रूस यूक्रेन जंग में तटस्‍थता की नीति अपना रखी है। इस युद्ध में भारत खुल कर किसी का पक्ष नहीं ले रहा है। भारत ने यदि रूस के विरोध में या फिर यूक्रेन के समर्थन में कुछ कहा तो इसका असर भारत और रूस के संबंधों पर पड़ेगा। अब भारत के समक्ष एक बड़ी चुनौती है कि वह अमेरिका समेत क्‍वाड देशों को किस तरह से साधता है। यह भारतीय विदेश नीति के समक्ष बड़ी चुनौती है। हालांकि, प्रो पंत ने माना कि अमेरिका बहुत कुछ भारत की मजबूरियों को समझता है। यही कारण है कि उसने प्रत्‍यक्ष रूप से भारत पर दबाव नहीं डाला है। उसने अभी तक ऐसा कोई स्‍टैंड नहीं लिया है कि जिससे भारत और अमेरिका की दोस्ती में दरार आए। फ‍िलहाल इस समय भारत अमेरिका से भी दुश्मनी मोल लेने की स्थिति में नहीं है।

क्‍या है भारत का स्‍टैंड

भारत ने शुरू से कहा है कि किसी भी समस्‍या का समाधान युद्ध या सैन्‍य टकराव नहीं हो सकता है। उसने जोर देकर कहा था कि दोनों देशों को युद्ध का रास्‍ता छोड़कर वार्ता के जरिए समस्‍याओं का समाधान करना चाहिए। भारत किसी भी तरह के जंग के खिलाफ है। इस मामले में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की से फोन पर वार्ता भी की थी। भारत अभी भी अपने स्‍टैंड पर कायम है। गुरुवार को यूक्रेन पर यूएनएससी ब्रीफिंग में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत शांति के पक्ष में है। यूक्रेन में संघर्ष की शुरुआत के बाद से ही भारत लगातार शत्रुता को पूरी तरह से समाप्त करने और कूटनीति के मार्ग को एकमात्र रास्ता अपनाने के लिए लगातार आह्वान कर रहा है।

SOURCE-DAINIK JAGRAN

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