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कौन से ‘परम्‍युटेशन और कॉम्बिनेशन’ में उलझ गया है I.N.D.I.A? सीट शेयरिंग की गुत्‍थी नहीं सुलझेगी!

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A उलझ गया है। सीट शेयरिंग पर गाड़ी अटक चुकी है। हर तरह के ‘परम्‍युटेशन और कॉम्बिनेशन’ तलाशे जा रहे हैं। अब तक कुछ भी फाइनल नहीं हो सका है। अब I.N.D.I.A के घटक दलों की छटपटाहट भी सामने दिखने लगी है। वे अपने मुंह से इस बात को स्‍वीकार कर रहे हैं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले इसका उदाहरण हैं। उन्‍होंने कहा है कि I.N.D.I.A के घटक दलों में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है। हर राज्‍य के अपने समीकरण हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष I.N.D.I.A गठबंधन के तहत लामबंद हो रहा है। इसका मकसद केंद्र की सत्‍ता से बीजेपी को उखाड़ फेंकना है। इस गठबंधन में ऐसे कई घटक दल हैं जिनकी आपस में ही नहीं बनती है। ऐसे में यह सवाल हमेशा बना रहा है कि एक साथ आने के बावजूद भी ये सीट शेयरिंग के गणित को कैसे सुलझाएंगे। अब यह गुत्‍थी सुलझने के बजाय और उलझती जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस जिस तरह से आक्रामक हुई है, उसने सीट शेयरिंग को और भी मुश्किल बना दिया है। ये भी तय है कि कांग्रेस जितना मजबूत होगी, किसी फॉर्मूले पर पहुंचना लगातार मुश्किल होता जाएगा। इस लिहाज से पांच राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनाव काफी महत्‍वपूर्ण होंगे। कांग्रेस अगर इनमें अच्‍छा प्रदर्शन करती है तो सीट शेयरिंग की मेज पर वह मोल-तोल भी आसान शर्तों पर नहीं करेगी।

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी। फिर दूसरी बैठक 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई। तीसरी बैठक 31 अगस्‍त और 1 सितंबर को मुंबई में हुई। इन तीनों ही बैठकों में कई मसलों पर बात हुई। लेकिन, सीट शेयरिंग के मुद्दे पर पेच फंस गया है। विपक्षी गठबंधन की अगली बैठक भोपाल में होनी है। माना जा रहा है कि घटक दल इसमें सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे। इस लिहाज से इस बैठक को काफी महत्‍वपूर्ण बताया जा रहा है। लेकिन, अब इस फॉर्मूले पर कैसे पहुंचा जाएगा, इसी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। घटक दलों के बयानों से इस उलझन को समझा जा सकता है।

सीट बंटवारे को लेकर उलझन आ रही है सामने
सीट बंटवारे को लेकर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के जवाब से इस परेशानी को समझा जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि कई राज्यों के लिए सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है। यह रुकी नहीं है। हर राज्य का अपना परम्‍युटेशन और कॉम्बिनेशन है। काम जारी है…।’

सीट बंटवारा एक नहीं, बल्कि कई राज्‍यों में बड़ी समस्‍या है। खासतौर से यह उन राज्‍यों में ज्‍यादा दिक्‍कत तलब है जहां स्‍थानीय दल मजबूत हैं। कांग्रेस इनमें अपने प्रदर्शन के सुधरने की उम्‍मीद लगाए बैठी है। उसकी महत्‍वाकांक्षा सीट शेयरिंग को लेकर गणित को उलझाएगी। इन राज्‍यों में उत्‍तर प्रदेश, बिहार, महाराष्‍ट्र, बंगाल, पंजाब, दिल्‍ली शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के लिए इन सभी जगहों पर सीट शेयरिंग के आड़े कांग्रेस की महत्‍वाकांक्षा आएगी।

करीब-करीब हर राज्‍य में फंसा हुआ है पेच
उत्‍तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं। यहां I.N.D.I.A का बड़ा घटक दल समाजवादी पार्टी का अच्‍छा खासा प्रभाव है। कांग्रेस की इच्‍छा चंद्रशेखर रावण और आरएलडी को भी साथ लाने की है। यहां कांग्रेस और सपा में कौन कुर्बानी देने के लिए आगे आता है, देखना होगा। बिहार प्रदेश के कांग्रेस अध्‍यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह कह चुके हैं कि राज्‍य में पार्टी की स्थिति मजबूत है। पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्ष से अगर कोई कैंडिडेट जीता था तो वह कांग्रेस का था। भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस महाराष्‍ट्र में खुद को एनसीपी और शिवसेना (यूटी) के टक्‍कर का समझने लगी है। इसी तरह बंगाल में भी सीट शेयरिंग का मुद्दा मुश्किल रहने वाला है।

पंजाब और दिल्‍ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गुत्‍थम-गुत्‍था है। कांग्रेस नहीं चाहती कि पंजाब में आप के साथ कोई गठबंधन हो। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा इस बारे में साफ कह चुके हैं। दिल्‍ली में भी कांग्रेस नेता आप से दूरी बनाने के पक्ष में हैं।

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