
झारखंड की IAS अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं। दावा किया जा रहा है कि पूजा सिंघल के घर से एक डायरी मिली है। इसमें ब्यूरोक्रेट्स, नेताओं और रसूखदारों के नाम हैं। ट्रांजेक्शन का भी जिक्र है। माना जा रहा है कि इस मामले में पूछताछ के लिए ईडी पूजा सिंघल के साथ-साथ कई और लोगों को तलब कर सकती है। ईडी ने खान सचिव पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार सिंह को रविवार को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। ईडी सुमन कुमार सिंह से 5 दिनों तक लगातार पूछताछ करेगी।
दरअसल, पूजा सिंघल पर लगातार आरोप लगते रहे और वह हर बार जांच में दोष मुक्त साबित होती रहीं। ईडी इन सभी पहलुओं को समेट कर जांच को आगे बढ़ा रही है। पूजा सिंघल को बचाने में शामिल रहे अधिकारियों की भूमिका की नए सिरे से जांच की संभावना जताई जा रही है।
अब तक की जांच में 20 से अधिक शेल कंपनियों का भी पता चला है। जिसके जरिए विभिन्न तरीकों से आने वाले पैसे खपाए जा रहे थे। अब इन सभी कंपनियों की सघनता से जांच की जा रही है। विश्वस्त सूत्रों की ओर से दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) भी मनरेगा घोटाले की जांच कर सकती है।
खूंटी में लगे आरोप
खूंटी में पूजा सिंघल के डीसी रहने के दौरान 18 करोड़ रुपए का मनरेगा घोटाला हुआ था। इसके बाद राजेश शर्मा डीसी बने तो उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग को गड़बड़ी की जांच कराने की अनुशंसा की। विभाग ने एक कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई तो गड़बड़ी की पुष्टि हुई। वर्ष 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने खूंटी में मनरेगा घोटाले की जांच एसीबी से कराने के आदेश दिए थे, लेकिन यह आदेश कभी एसीबी तक पहुंचा ही नहीं।
विभागीय कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एपी सिंह को विभागीय कार्रवाई का जिम्मा दिया गया। विभागीय जांच रिपोर्ट में पूजा सिंघल को दोषी नहीं माना गया। रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान 27 फरवरी 2017 को कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने संकल्प जारी कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया। कहा गया कि जांच रिपोर्ट में सिंघल के विरुद्ध गठित सभी आरोपों को प्रमाणित नहीं माना गया है।
पलामू में लगे आरोप
कठौतिया पलामू जिले के कठौतिया कोल परियोजना की वन भूमि को जंगल झाड़ बता 80 एकड़ जमीन को कम मूल्य पर हस्तांतरित करने के मामले में भी तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल और अन्य अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू हुई थी। तत्कालीन आयुक्त जेपी लकड़ा ने पूर्व प्रमंडलीय आयुक्त एनके मिश्रा की जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल के खिलाफ निगरानी जांच की अनुशंसा की थी । लेकिन सरकार से निगरानी में एफआईआर की अनुमति नहीं मिली।
कठौतिया कोल माइंस जमीन आवंटन के मामले में पलामू के पूर्व कमिश्नर एनके मिश्रा ने भी विस्तृत रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट के आधार पर सीएम रघुवर दास के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने एक जांच समिति का गठन किया। समिति ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी। रिपोर्ट को आधार बनाकर राजबाला वर्मा ने सरकार के स्तर पर पूजा सिंघल को जांच में सभी आरोपों में बरी कर दिया। हालांकि एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।
सरकार ने मोमेंटम झारखंड पर जांच बैठाई, पर ओएसडी रहीं पूजा को प्रमुख विभाग मिल गए
रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2017 में हुए मोमेंटम झारखंड में पूजा सिंघल बतौर ओएसडी महत्वपूर्ण भूमिका में थी। मोमेंटम झारखंड के बाद इसके आयोजन को लेकर तरह-तरह के आरोप लगे थे।
झामुमो गठबंधन की सरकार बनने के बाद मोमेंटम झारखंड पर जांच बैठाई गई थी। लेकिन इस कार्यक्रम को सफल बनाने की मुख्य भूमिका में रही पूजा सिंघल को ही उद्योग सचिव बना दिया गया। बाद में उन्हें खान सचिव, झारखंड खनिज विकास निगम और झारखंड औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकार जैसे महत्वपूर्ण पदों का भी अतिरिक्त प्रभार मिल गया।
Source : Dainik Bhaskar


