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मोदी को ‘पनौती’ बोल क्या गलती कर रहे हैं राहुल गांधी? कांग्रेस को अक्सर नुकसान हो जाता है

क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में भारतीय टीम हारी तो सोशल मीडिया पर #पनौती ट्रेंड करने लगा। रातभर लोग हार के गम में रहे। कुछ देर बाद ही भाजपा के आईटी हेड अमित मालवीय ने प्रियंका गांधी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘इंदिरा गांधी को अब लोग पनौती बोलेंगे।’ दरअसल, एक चुनावी रैली में प्रियंका ने मंच से बोला था कि 1983 में इंदिरा जी थीं और जीत पर बहुत खुश थीं। पूरी टीम को अपने घर बुलाया था चाय के लिए। आज राहुल गांधी एक चुनावी रैली में बोल रहे थे तभी मुस्कुराते हुए पनौती की चर्चा छेड़ दी। कांग्रेस पार्टी ने 30 सेकेंड का वीडियो एक्स पर शेयर भी कर दिया। राहुल कहते हैं, ‘क्या, पनौती (लोगों की आवाज सुनते हुए) अच्छा भला वहां पे हमारे लड़के वर्ल्ड कप जीत जाते… वहां पर पनौती हरवा दिया। टीवी वाले ये नहीं कहेंगे मगर जनता जानती है।’ पहले अमित मालवीय का ट्वीट देखिए फिर राहुल गांधी का तंज। राहुल गांधी का इशारा स्पष्ट रूप से पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ था। पीएम फाइनल मैच के दौरान अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मौजूद थे। हार के बाद खिलाड़ी मायूस थे लेकिन पीएम ने उनके बीच जाकर हौसला बढ़ाया था। ऐसे में पनौती का ट्रेंड बहुत से लोगों को समझ में नहीं आया।

बीजेपी बोली, माफी मांगें राहुल
इसमें बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें शायद पता ही नहीं होगा कि पनौती का मतलब क्या होता है। लोग यह भी बातें कर रहे हैं कि चुनावी मौसम में मोदी के खिलाफ नेगेटिव कॉमेंट कर क्या राहुल गांधी गलती कर रहे हैं? वैसे भी इतिहास पलटकर देखें तो मोदी पर कांग्रेस की तरफ से किया गया ऐसा कॉमेंट खुद ग्रैंड ओल्ड पार्टी पर भारी पड़ता रहा है। वह मणिशंकर अय्यर रहे हों या कोई और… बीजेपी चुनाव में इस बात को मुद्दा बना सकती है। तब कांग्रेस ने पल्ला झाड़ते हुए अय्यर को निलंबित कर दिया था। उस समय 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव चल रहा था। इसी तरह कांग्रेस कैंप से मोदी के प्रधानमंत्री रहते और सीएम रहते कई टिप्पणियां की गई थीं, जो पार्टी के खिलाफ ही गईं। इस बार भी भाजपा ने तीखा हमला बोलते हुए राहुल गांधी से इस टिप्पणी के लिए माफी की मांग की है।

पनौती अटैक दोनों तरफ से
वैसे, अमित मालवीय हों या राहुल गांधी दोनों के पनौती का जिक्र करने से साफ है कि इस शब्द का इस्तेमाल दोनों तरफ से किया गया है। ऐसे में कोई भी दूसरे पर नैतिकता का सवाल सीधे तौर पर खड़ा नहीं कर सकता। हमारी सियासत ही इतनी नीचे जा रही है कि विकास की बातें, दावे और नयापन की जगह टारगेटेड अटैक किए जाते हैं। कोई ‘पप्पू’ कहकर वीडियो का क्लिप काटकर किसी की राजनीतिक छवि को खराब करने की कोशिश करता है तो कोई देश के सबसे लोकप्रिय नेता की मौजूदगी को पनौती बता रहा है। यह सवाल नेता खुद तो अपने आप से पूछेंगे नहीं, जनता जरूर सोच रही होगी कि हम किस दिशा में जा रहे हैं? क्या चुनावी रैली में बोलने को यही सब रह गया है।

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