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कभी राहुल के बेहद करीबी रहे इन ‘पांडवों’ में एक को छोड़ सभी कांग्रेस से जा चुके हैं

आपको जो तस्‍वीर दिख रही है वह बेहद खास है। इसमें सचिन पायलट, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद और मिलिंद देवड़ा साथ हैं। यह उन दिनों की तस्‍वीर है जब राहुल गांधी के करीबी ये सभी नेता कांग्रेस में हुआ करते थे। इनकी गिनती पार्टी की युवा ब्रिगेड में होती थी। राष्‍ट्रपति भवन में 28 अक्‍टूबर 2012 को ली गई यह तस्‍वीर अचानक सोशल मीडिया पर दौड़ पड़ी है। उस दिन कांग्रेस के नए केंद्रीय मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह था। मिलिंद देवड़ा ने रविवार को कांग्रेस से बरसों पुराना नाता तोड़ लिया। इसके बाद जिस किसी को देखो वह इस तस्‍वीर को शेयर कर रहा है। वजह समझनी मुश्किल नहीं है। तस्‍वीर में दिख रहे राहुल के इन पांडवों में से एक को छोड़ अब सभी कांग्रेस को बिसरा चुके हैं। वह एक नाम सचिन पायलट का है। बाकी ने बेहतर भविष्‍य के लिए पार्टी छोड़ने में भलाई समझी है। सचिन पायलट को छोड़ तस्‍वीर में दिख रहे बाकी धुरंधरों ने कैसे और क्‍यों रास्‍ता बदला, यहां जानते हैं।

गुटबाजी से परेशान होकर ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने बदला रास्‍ता
साल था 2020। महीना मार्च। भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई में गुटबाजी से परेशान हो गए थे। सिंधिया ने कहा था कि वह वरिष्ठ नेता कमलनाथ से मिलने वाले अपमान को अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते। सिंधिया को लग रहा था कि पार्टी में युवाओं की अनदेखी की जा रही है। 2018 में उनकी जगह कमलनाथ को सीएम बनाने का फैसला सिंधिया को बिल्‍कुल पसंद नहीं आया था। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने 28 विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़ा था। इसने रातोंरात मध्‍य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार के पांव उखाड़ दिए थे। बीजे

तीन साल पहले जितिन प्रसाद भी बीजेपी के हुए

जून 2021 में कांग्रेस के एक अन्य पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद ने लोगों के साथ पार्टी की बढ़ती दूरियों का हवाला देकर कांग्रेस छोड़ दी थी। जितिन प्रसाद का पिता और दादा के समय से कांग्रेस के साथ रिश्‍ता रहा था। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद और दादा ज्‍योति प्रसाद देश की सबसे पुरानी पार्टी के प्रमुख नेताओं में थे। जितिन प्रसाद को यूपी में बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाना जाता है। हाईकमान से तवज्‍जो न मिलने के कारण भी वह पार्टी से नाराज थे।

आरपीएन सिंह ने दिया झटका, वजह थी वही पुरानी
2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आरपीएन सिंह ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था। आरपीएन सिंह ने ज्योतिरादित्‍य सिंधिया की मौजूदगी में बीजेपी ज्वॉइन की थी। वह मनमोहन सिंह सरकार में राज्‍यमंत्री रह चुके थे। आरपीएन सिंह ने भी बेहतर भविष्‍य के लिए कांग्रेस से नाता तोड़ा था।

फेहरिस्‍त में अब मिलिंद देवड़ा का भी नाम
पूर्व केंद्रीय मंत्री और दक्षिण मुंबई से पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा भी रविवार को कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ उन युवा नेताओं की फेहरिस्‍त में शामिल हो गए, जिन्होंने अन्य पार्टियों, मुख्य रूप से बीजेपी में नई पारी शुरू करने के लिए इसे छोड़ दिया। देवरा के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बहुत लंबे और निरर्थक इंतजार के बाद पार्टी छोड़ दी। पूर्व लोकसभा सदस्य अपनी ही पार्टी से यह आश्वासन नहीं पा सके कि उन्हें आगामी आम चुनाव में मुंबई दक्षिण से चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, जिस सीट का प्रतिनिधित्व दशकों से उनका परिवार करता रहा है। देवरा के सहयोगियों ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) खुले तौर पर मुंबई दक्षिण सीट पर दावा कर रही है। कांग्रेस मिलिंद देवड़ा को सीट का आश्वासन देने में असमर्थ थी। एक युवा नेता का राजनीतिक भविष्य अनिश्चितता में था और कोई समाधान नहीं था। देवरा ने कांग्रेस के साथ अपने परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म कर दिया है। उनके दिवंगत पिता मुरली देवड़ा एक कद्दावर शख्सियत थे। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में वह पेट्रोलियम मंत्री थे।

राहुल के पांडवों में सचिन पायलट ही बचे
शीर्ष नेतृत्व की ओर से किए गए वादों को पूरा न करने के बावजूद सचिन पायलट कांग्रेस में बने रहे। उन्होंने 2020 में अपना सुर नरम कर लिया। वह यह कहते हुए कांग्रेस में लौट आए कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ अपने मतभेद खत्म कर लिए हैं।

क्‍या है इन इस्‍तीफों का मैसेज?
ये इस्तीफे उन युवा नेताओं की अनसुनी चिंताओं की निरंतर गाथा का भी संकेत देते हैं जिन्हें एक समय पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। कांग्रेस के घटते जनाधार के बीच ताजा घटनाक्रम पार्टी नेतृत्व के निचले स्तर के साथ गांधी परिवार का जुड़ाव कमजोर होने को भी उजागर करता है। इसे युवा नेता स्वीकार करने में असमर्थ हैं। देवरा खेमे की ओर से जाहिर चिंताओं का उल्लेख उन नेताओं ने भी किया है जो पूर्व में पार्टी छोड़ चुके हैं। पुराने मुद्दों का समाधान नहीं होने और पार्टी के भीतर गुटबाजी इसका सबसे बड़ा कारण है। कांग्रेस ने देवड़ा के इस्तीफे के समय पर भी सवाल उठाया जो राहुल गांधी की रविवार को मणिपुर से मुंबई तक ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू करने से कुछ घंटे पहले आया।
देवड़ा के पार्टी छोड़ने के ठीक बाद बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘कांग्रेस को न्याय यात्रा शुरू करने के बजाय पहले अपने नेताओं को न्याय देना चाहिए।’

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