आग का कारण नहीं, बीमा दावों का निपटारा जरूरी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कानून से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आग लगने की दुर्घटना के बाद बीमा दावों के निपटारे के लिए आग लगने का वास्तविक कारण "अनावश्यक" है।
शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि एक बार जब यह प्रमाणित हो जाता है कि नुकसान आग लगने से हुआ है, तो बीमा कंपनी को तकनीकी कारणों में उलझे बिना दावे का भुगतान करना चाहिए। यह फैसला बीमा धारकों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अग्नि बीमा (Fire Insurance) केवल नुकसान की भरपाई का एक साधन नहीं है, बल्कि यह जोखिम प्रबंधन (Risk Management), परिसंपत्ति संरक्षण (Asset Protection) और आर्थिक लचीलेपन (Economic Resilience) के लिए एक रणनीतिक उपकरण है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि बीमा पॉलिसियाँ खरीदने का मुख्य उद्देश्य ही अप्रत्याशित जोखिमों से सुरक्षा प्राप्त करना है, और तुच्छ आधारों पर दावों को खारिज करना इस उद्देश्य को विफल करता है। कोर्ट ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि वे दावों का निपटारा करते समय सद्भाव और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाएँ।
इस फैसले से उन बीमा धारकों को बड़ी राहत मिली है, जिनके दावों को बीमा कंपनियाँ अक्सर आग के कारणों की जटिलता या तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए टाल देती थीं। कोर्ट का यह निर्देश बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर देती कि आग जानबूझकर लगाई गई थी या वह किसी स्पष्ट बहिष्करण खंड (Exclusion Clause) के तहत आती है, तब तक आग का सटीक कारण जानने की जिद नहीं होनी चाहिए। यह निर्णय बीमा दावों के त्वरित और न्यायसंगत निपटारे को सुनिश्चित करता है।


