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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर की 9 अगस्त को हुई बलात्कार और हत्या की घटना ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। ये प्रदर्शन पहले स्वाभाविक रूप से शुरू हुआ, लेकिन अब इसमें राजनीतिक रंग चढ़ गया है।

विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रही हैं।

18 दिन बीत चुके हैं, और विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है।

शुरुआत में, लोग न्याय और राज्य में बेहतर कानून-व्यवस्था की मांग कर रहे थे, लेकिन अब प्रदर्शनकारियों ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। इससे साफ है कि प्रदर्शन अब राजनीतिक हो गया है। कई लोगों का कहना है कि राजनीतिक दलों ने इस स्वाभाविक प्रदर्शन को गति देने में भूमिका निभाई है।

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इन प्रदर्शनों को राजनीतिक करार दिया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने आरोप लगाया है कि भाजपा एक संगठित अभियान चला रही है और ‘ममता मुस्त रिजाइन’ ट्रेंड करवा रही है। उनका कहना है कि अब सड़कों पर वास्तविक प्रदर्शनकारियों की जगह बीजेपी और बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता आ गए हैं।

वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि विपक्षी दलों की भूमिका को पूरी तरह से नकारना सही नहीं होगा। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों में अब भाजपा और सीपीआई(एम) जैसे विपक्षी दल शामिल हो गए हैं।

विरोध प्रदर्शन शुरू में आम लोगों द्वारा किया गया था, जो इस घटना से गुस्से में थे। एक लोकप्रिय कंटेंट क्रिएटर और लेखक, इंद्रजीत लाहिड़ी, ने कहा कि यह सिर्फ एक घटना का विरोध नहीं है, बल्कि लोगों में लंबे समय से दबा हुआ गुस्सा अब बाहर आ रहा है।

लेकिन अब, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, प्रदर्शन में राजनीतिक दलों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि प्रदर्शन लगभग पूरी तरह से राजनीतिक दलों या उनके संबंधित संगठनों द्वारा हाइजैक कर लिया गया है। एक दक्षिण कोलकाता निवासी ने कहा कि शुरू में प्रदर्शन में लोगों और राजनीतिक दलों का अनुपात 70:30 था, जो अब 30:70 हो गया है।

राज्य के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों और महिला अधिकार संगठनों ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया। हालांकि, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, लोगों का जोश ठंडा पड़ रहा है और प्रदर्शनकारियों की संख्या कम होती जा रही है।

भविष्य में, दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्योहार भी इस आंदोलन के जोश को कम कर सकते हैं।

इस घटना ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को यह स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल के लोग कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर चुप नहीं बैठेंगे।

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