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दिवाली के दिन उल्लू की पूजा, विश्व शांति का पढ़ा गया मंत्र, जानिए इस मान्यता के पीछे की कहानी

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में उल्लू की पूजा का विधान किया गया। अभी तक आपने भगवान की पूजा करते देखा होगा, लेकिन शाहजहांपुर में उल्लू की पूजा भी करते देखा जा सकता है। खास बात ये है कि उल्लू की पूजा यहां के पढ़े- लिखे प्रोफेसर करते हैं। इसकी खासियत ये है कि दुनिया में फैल रही अशांति को दूर करने का संदेश देती है। उल्लू पूजन के बाद संदेश दिया गया कि कुछ लोग आतंकियों से लड़ रहे हैं और कुछ आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं। यह किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो युद्ध को रुकवा सकते हैं, लेकिन उनकी बुद्धि पर पर्दा पड़ा है। ऐसे पर्दे को उल्लू का प्रतीक माना जाता है। इसी पर्दे को हटाने के लिए प्रोफेसरों ने उल्लू पूजन किया।

Shahjahanpur Owl Puja News

शाहजहांपुर में पृथ्वी संस्था की ओर से पिछले कई साल से उल्लू पूजन किया जाता है। इस संस्था में अलग अलग डिग्री कालेजों के प्रोफेसर जुड़े हैं। एसएस कालेज में कामर्स के विभागाध्यक्ष अनुराग अग्रवाल ने बताया कि पिछले 13 साल से पार्क में प्रोफेसर उल्लू की पूजा करते हैं। उल्लू की पूजा करते के दौरान दुनिया में चल रहे किसी एक टापिक को लेकर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि पृथ्वी और इस पर उत्पन्न होने वाले विकारों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना है। माना जाता है कि, विकार हमेशा मुर्खता के या उल्लू के प्रतीक होते हैं। इस बार उल्लू की पूजा करने का मकसद विश्व शांति की स्थापना करना है।

अनुराग अग्रवाल ने कहा कि आतंकवादियों का समर्थन किसी दृष्टि से बुद्धिमानी नही की जा सकती है। हालत ये है कि इंसान- इंसान को मार रहा है। इस विश्व युद्ध के कारण तमाम आर्थिक और जनहानियां हो रही हैं। माना जा रहा है कि इस युद्ध में जो लोग शामिल हैं, नेता और या नीतिकार। उनकी बुद्धि पर पर्दा पड़ा है। यह अंधकार और उल्लू का प्रतिक है। उनकी बुद्धि से पर्दा उठाने के लिए उनके अंदर सद्बुद्धि लाने और युद्ध को समाप्त शांति की तलाश करने के लिए उल्लू की पूजा की गई है।

शाहजहांपुर के एसएस कालेज के प्रोफेसरों ने मिलकर पृथ्वी संस्था बनाई थी। उसके बाद शाहजहांपुर के अन्य डिग्री कालेजों के प्रोफेसर भी इस संस्था में शामिल हुए और पिछले 13 साल से अलग- अलग विषयों पर दिपावली से एक दिन पहले उल्लू की पूजा की जाती है। उल्लू की पूजा को लेकर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं।

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