
यह तकनीक विकलांग लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इससे वे अपने खोए हुए अंगों को अधिक प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित कर पाएंगे।
इस तकनीक में, मस्तिष्क में एक छोटा चिप लगाया जाता है जो मस्तिष्क के संकेतों को पकड़ता है। ये संकेत फिर एक कंप्यूटर में भेजे जाते हैं, जो उन्हें बायोनिक अंग को नियंत्रित करने के लिए संकेतों में बदल देता है। इस तरह, व्यक्ति अपने मस्तिष्क से ही बायोनिक अंग को हिला सकता है, जैसे कि यह उसका अपना अंग हो।
यह तकनीक अभी भी विकास के शुरुआती चरण में है, लेकिन यह विकलांग लोगों के जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। इससे वे अधिक स्वतंत्र और सक्रिय जीवन जी सकेंगे।


