रांची में मनाई गई 150वीं जयंती सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था। यह राज्य की पहचान के केंद्र में बैठे एक महानायक को याद करने का अवसर था। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उनके संघर्ष को विस्तार से बताया। बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा किया था। वह जनजातीय स्वाभिमान की आवाज बने थे। उनकी जयंती को पूरे राज्य में उत्साह के साथ मनाया गया। नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि चेतना का प्रतीक है। उनके विचार आज भी समाज को दिशा देते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि पहुंचे। जनता ने भी सक्रिय भागीदारी दिखाई।
जांच के अनुसार सरकार इस अवसर को पहचान दिवस से जोड़कर देख रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड उनकी विरासत के बिना अपूर्ण है। अबुआ सरकार उनके सपनों के अनुरूप काम करने का दावा कर रही है। आदिवासी समाज के हितों को योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। युवाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। भाषा संरक्षण पर विशेष नीति लागू की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ याद करने का दिन नहीं है। बल्कि समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प है। राज्यपाल ने भी सुधारों की जरूरत को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के दौरान टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी संदेश साझा किया गया। सीएम ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि पोस्ट कर भावनाएं व्यक्त कीं। लोगों ने भी पोस्ट साझा कर समर्थन दिखाया। जयंती के समारोह में सांस्कृतिक पहचान पर चर्चा हुई। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने भी विचार व्यक्त किए। युवा वर्ग ने बिरसा मुंडा को प्रेरणास्रोत बताया। स्कूलों में भी विशेष गतिविधियाँ आयोजित की गईं। कई संस्थानों ने परिचर्चा आयोजित की। पूरे राज्य में कार्यक्रम का माहौल सकारात्मक रहा। यह दिन इतिहास और वर्तमान को जोड़ने का कार्य करता है।



