जेडीयू में ‘रार’? ललन सिंह का हुक्म अशोक चौधरी के ठेंगे पर, नीतीश की चुप्पी में छिपा कोई राज
जेडीयू के अंदर की लड़ाई अब खुल कर सामने आ गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और नीतीश सरकार में जेडीयू कोटे के मंत्री अशोक चौधरी आमने-सामने हैं। यह टकराव इसी हफ्ते जेडीयू दफ्तर में नीतीश कुमार के सामने पहली बार दिखा था, जब बरबीघा की राजनीति में दखलंदाजी न करने की सलाह ललन सिंह ने अशोक चौधरी को दी थी। उन्होंने उनके बार-बार के बरबीघा दौरे पर एतराज किया तो पलट कर चौधरी ने भी ललन सिंह को जवाब दे दिया था कि आप कौन होते हैं रोकने वाले।
फिर भी तामझाम के साथ बरबीघा गए अशोक
अशोक चौधरी ने आज (29 सितंबर) बरबीघा में कई कार्यक्रम पहले से ही तय कर रखे हैं। उन्हें भवन निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस का उद्घाटन करने के अलावा बरबीघा नगर परिषद की कई सड़कों के उद्घाटन और शिलान्यास करना है। अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की मनाही के बावजूद अशोक चौधरी लाव-लश्कर के साथ बरबीघा गए। समर्थकों का काफिला भी उनके साथ गया। मंत्री अशोक चौधरी ने गुरुवार को ही शुक्रवार का अपना शिड्यूल जारी कर दिया था। अशोक चौधरी बरबीघा में भवन निर्माण के इंजीनियरों के साथ बैठक भी करेंगे।

चौधरी क्यों है बरबीघा के प्रति इतना आकर्षण
दरअसल अशोक चौधरी महादलित समाज से आते हैं। बरबीघा उनकी राजनीतिक जमीन रही है। उनके पिता पहले यहां से विधायक होते थे। बाद में अशोक चौधरी भी पहली बार यहीं से जीते। हालांकि तब वे कांग्रेस के विधायक हुआ करते थे। बाद में नीतीश कुमार से उनकी निकटता बढ़ी और वे जेडीयू का हिस्सा बन गए। नीतीश कुमार भी उन्हें काफी तरजीह देते रहे हैं। नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल चौधरी को मंत्री बनाया। गठबंधन बदलता रहा, लेकिन चौधरी का मंत्री पद बना रहा।
बरबीघा का विधायक रह चुके चौधरी का वहां सियासी दायरा भी है। उनके पुराने करीबी कांग्रेसी मित्र भी वहां हैं। इसीलिए वे अक्सर बरबीघा आते-जाते रहते हैं। उनकी इस आवाजाही को बरबीघा के मौजूदा जेडीयू विधायक पसंद नहीं करते। उन्हें भय है कि कहीं चौधरी उनकी सीट हथिया न लें। उन्होंने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष से स बात की शिकायत की होगी कि चौधरी बरबीघा की राजनीति में दखलंदाजी कर रहे हैं।
कहीं अशोक को नीतीश कुमार की शह तो नहीं
वैसे तो पहले से ही यह सबको पता है कि अशोक चौधरी को नीतीश कुमार तरजीह देते हैं। हाल के दिनों की दो घटनाओं ने भी साबित किया है कि नीतीश कुमार अशोक चौधरी को कितना चाहते हैं। हफ्ता भर पहले ही मीडिया से नीतीश जब बात कर रहे थे तो माथे पर तिलक लगाए एक पत्रकार ने नीतीश से कोई सवाल पूछा। नीतीश ने उसका जवाब देने के लिए अशोक चौधरी को गर्दन से धकेल कर सामने कर दिया। अशोक चौधरी भी पहले माजरा समझ नहीं पाए। बाद में उन्हें लगा कि वे भी तिलक लगाते हैं, इसलिए पत्रकार के सवाल के जवाब में उन्होंने दो तिलक धारियों को मिलाने की कोशिश की। फिर खुद चौधरी न उस पत्रकार के माथे से अपना माथा सटा दिया। दूसरी घटना उसके दो दिन बाद की है। अशोक चौधरी के गले लिपट कर नीतीश ने पत्रकारों से कहा कि देखिए, हम इन्हें कितना मानते हैं।



