Jharkhand

चाईबासा में ई-स्कूटी से दुर्गम इलाकों में एएनएम पहुंचा़ रहीं स्वास्थ्य सेवाएं

रांची/चाईबासा

स्वास्थ्य सेवाओं को जन- जन तक पहुंचाने में राज्य की एएनएम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) के सुदूरवर्ती दुर्गम क्षेत्रों में स्थित गांवों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में ई- स्कूटी सहायक बन रहा है। गौरतलब है कि चाईबासा के इस भूभाग में पहाड़ों के उतार-चढ़ाव के साथ जंगल की पगडंडियों के सहारे गांव तक पहुंचा जाता है। यह क्षेत्र देश के कम विकसित जिलों में से एक है और इसे केंद्र सरकार द्वारा आकांक्षी जिले के रूप में मान्यता दी गई है। जिले में ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन्हें कठिन पहाड़ी इलाकों के कारण दुर्गम क्षेत्र माना जाता है तथा स्वास्थ्य कर्मियों को कुछ ऐसी ही जगहों पर जाना पड़ता है, जहां पहुंचने का एकमात्र विकल्प पैदल चलना है। वर्तमान में चाईबासा के दूरस्थ 342 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में इसी समस्या का समाधान 180 स्कूटी के जरिये किया जा रहा है।

ई- स्कूटी को बनाया विकल्प

कोविड-19 संक्रमण के दूसरे दौर में जब प्रशासन को ग्रामीण क्षेत्रों के सभी व्यक्तियों का कोरोना वायरस की जांच तथा संक्रमण काल के दौरान ही मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए सहज स्वास्थ्य सेवा देने के विकल्पों पर मंथन हुआ। पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपायुक्त अनन्य मित्तल के द्वारा जुलाई 2021 में नवाचार के तहत जिले के 342 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में ई-स्कूटी उपलब्ध कराने की कार्य योजना तैयार की गई। यह नवाचार इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वाहन के उपयोग से स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम सहजता से पगडंडियों का प्रयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच सकती हैं और क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन के बढ़ने जैसी समस्या भी नहीं होती है। नवाचार को सरजमीं पर उतारने के लिए उपायुक्त के नेतृत्व में कॉरपोरेट्स और विशेषज्ञ एजेंसियों से वार्ता शुरू की गई और समेकित प्रयास से योजना धरातल पर उतर गई।

दुर्गम क्षेत्रों में दौड़ रही है ई-स्कूटी

प्रारंभिक चरण में प्रत्येक इलेक्ट्रिक स्कूटर को स्वास्थ्य उपकेंद्र में उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई तथा इस पूरी योजना के निष्पादन के लिए 30 से अधिक संगठनों से अनुरोध किया गया कि आवश्यक इलेक्ट्रिक स्कूटर उपलब्ध कराएं या खरीद हेतु जिला प्रशासन को वित्तीय सहायता प्रदान करें। नवाचार को बल मिला तथा औद्योगिक संस्थानों के द्वारा जिला प्रशासन को इलेक्ट्रिक स्कूटर उपलब्ध करवाया जाने लगा। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदर्शन के आधार पर सूची तैयार की जाने लगी और ई-स्कूटी वितरण कार्य जिले में प्रारंभ हुआ। जिले में औद्योगिक संस्थानों यथा एसीसी, केंद्रीय भंडारण निगम व टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से दुर्गम क्षेत्रों में ई-स्कूटी का वितरण सुनिश्चित किया गया।

एएनएम के लिए ई – स्कूटी बना वरदान

जिला प्रशासन के दृढ़ संकल्प से प्राप्त इलेक्ट्रिक स्कूटर का प्रयोग आज एएनएम के लिए वरदान साबित हुआ। जहां पहले इनके द्वारा दो से तीन गांवों का भ्रमण किया जाता था, आज उसमें तीन से चार गुना की बढ़ोत्तरी पाई जा रही है। वहीं इसके उपयोग से कम समय में अधिकतम स्वास्थ्य सेवा व जानकारी ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जा रहा है। एएनएम के द्वारा वाहन का प्रयोग ग्राम भ्रमण के साथ चिकित्सा उपकरण और दवाई लाने ले जाने के लिए भी किया जा रहा है। साथ ही संबंधित क्षेत्र के रोगी जो परिवहन उपलब्ध नहीं रहने के कारण अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे थे, उन्हें भी ग्रामीणों की मदद से उक्त वाहन के द्वारा अस्पताल में भर्ती करने के लिए लाया जा रहा है। यह झारखंड में पहला नवाचार था जब सहज और ससमय स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने, आमजनों को जागरूक करने, स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़े मिथकों को दूर करने हेतु बड़े स्तर पर स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर इलेक्ट्रिक स्कूटर उपलब्ध कराया गया।

 
“कोविड-19 संक्रमण प्रसार को कम करने हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं को बड़ी आबादी तक आसानी से पहुंचाया गया। इस कार्य में काफी हद तक ई – स्कूटी सहायक हुआ था। अब सहिया साथी जिले के दूरस्थ क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवा ई- स्कूटी के जरिए उपलब्ध करा रहीं हैं।”

Source : IPRD

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button