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दंगाइयों पर बुलडोजर चलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका

मध्य प्रदेश और गुजरात में राम नवमी के जुलूस पर पथराव करने वालों के घर-दुकानें प्रशासन ने बुलडोजर से गिरा दिए थे। इसके विरोध में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि वह राज्यों की निर्देश दें कि अदालत के आदेश के बिना किसी का मकान-दुकान न ढहाएं।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने याचिका में कहा- भाजपा शासित राज्यों में अपराध की रोकथाम की आड़ में मुसलमानों को निशाना बनाने की चाल बताया है।

ऐसा लगता है कि देश में कोई कानून नहीं बचा है: मदनी
मौलाना मदनी ने कहा- मुस्लिम इलाकों और मस्जिदों के सामने उकसावे की कार्रवाई हो रही है। पुलिस की मौजूदगी में लाठियां लहराई जा रही हैं और नारे लगाए जा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे देश में कोई कानून नहीं बचा है, और कोई भी सरकार उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

सिब्बल से परामर्श करके तैयार की याचिका
याचिका अधिवक्ता सरीम नावेद ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से परामर्श करके तैयार की है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कबीर दीक्षित ने इसे ऑनलाइन दाखिल किया। अगले कुछ दिनों में भारत के मुख्य न्यायाधीश से याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया जा सकता है।

याचिका में मध्य प्रदेश की घटना का जिक्र
याचिका में कहा गया- मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के अवसर पर एक जुलूस के दौरान अत्यधिक भड़काऊ नारे लगाकर दंगे शुरू किए गए और फिर राज्य सरकार के आदेश पर मुसलमानों के घरों और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया।

Source : Dainik Bhaskar

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