लोकसभा चुनाव 2024 में misinformation को फैलने से रोकने के लिए व्हाट्सएप की टिपलाइन एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभर कर सामने आई है।
यह टिपलाइन विशेष रूप से डीपफेक वीडियो का पता लगाने में मदद करती है, जो राजनेताओं के भाषणों में हेरफेर कर गलत जानकारी फैलाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
टिपलाइन तकनीक की जानकारी न रखने वाले लोगों के लिए भी उपयोगी है। यूजर्स को किसी भी संदिग्ध वीडियो या संदेश को व्हाट्सएप की टिपलाइन पर भेजना होता है। यह टिपलाइन कई भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें हिंदी, तमिल, तेलुगु और अंग्रेजी शामिल हैं।
एक बार रिपोर्ट हो जाने के बाद, व्हाट्सएप की टीम उस सामग्री की समीक्षा करती है और यह निर्धारित करती है कि क्या यह वास्तविक है या डीपफेक है। अगर यह वास्तव में एक डीपफेक है, तो व्हाट्सएप इसे अपने प्लेटफॉर्म से हटा सकता है और यूजर्स को भी चेतावनी दे सकता है।
यह टिपलाइन न केवल फर्जी सामग्री को फैलने से रोकने में मदद करती है, बल्कि लोगों को मीडिया का अधिक स критично (kriticno) यानी आलोचनात्मक तरीके से विश्लेषण करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।
कुल मिलाकर, व्हाट्सएप की टिपलाइन भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने और 2024 के चुनावों के दौरान सूचना के प्रवाह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।