Bihar

उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला सुल्तानगंज-अगुवानी निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर ध्वस्त

बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल सुल्तानगंज में गंगा नदी पर बन रहा अगवानी-सुल्तानगंज पुल शनिवार सुबह ढह गया। इस पुल की पाया संख्या 4, 5, और 6 के दोनों ओर के 36 स्लैब ध्वस्त हो गए। घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय विधायक प्रो. ललित नारायण मंडल, सांसद प्रतिनिधि पवन केसान और अधिकारी मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया।

किसी के हताहत होने की सूचना नहीं

घटना के बारे में बताया जा रहा है कि सुल्तानगंज-अगुवानी पुल की पाया संख्या 5 के दोनों ओर के स्लैब में दरारें आईं और तेज आवाज के साथ यह ध्वस्त हो गए। सुबह-सुबह हादसा होने के कारण पुल निर्माण कार्य बंद था, इसलिए किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक ने कहा कि वे इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचाएंगे।

जोरदार आवाज के साथ गिरे 36 स्लैब

शनिवार की सुबह करीब 3:30 बजे अचानक जोरदार आवाज हुई और देखते ही देखते 36 स्लैब गिर गए। घटना की जानकारी मिलने पर पुल निर्माण निगम के कई अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की छानबीन की। पुल निर्माण के अधिकारियों ने घटना की जानकारी वरीय अधिकारियों को दी है। तकनीकी जांच टीम पटना से रवाना हो चुकी है और जांच के बाद यह पता चलेगा कि स्लैब क्यों गिरे।

विधायक प्रो. ललित नारायण मंडल ने गुणवत्ता पर उठाए सवाल

पुल के ध्वस्त होने की सूचना मिलने पर स्थानीय लोग गंगा तट पर इकट्ठा हो गए। विधायक प्रो. ललित नारायण मंडल ने पुल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। यह पुल बनने से किसी भी कोने से राजधानी पटना तक पांच घंटे में पहुंचना आसान हो जाएगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी पुल निर्माण आधारशिला

अगुवानी घाट-सुल्तानगंज पुल 3.160 किलोमीटर लंबा होगा और इसका निर्माण करीब 1716 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को खगड़िया जिले के परबत्ता में पुल निर्माण की आधारशिला रखी थी और 9 मार्च 2015 को निर्माण कार्य शुरू करने के लिए उद्घाटन किया गया था।

खगड़िया से भागलपुर की दूरी 30 किमी में सिमटेगी

खगड़िया की ओर से 16 किलोमीटर और सुल्तानगंज की ओर से 4 किलोमीटर लंबा एप्रोच रोड उत्तर बिहार को सीधे मिर्जा चौकी के रास्ते झारखंड से जोड़ेगा। इससे विक्रमशिला सेतु पर वाहनों का दबाव कम होगा और श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों को खगड़िया से भागलपुर आने के लिए 90 किलोमीटर की दूरी केवल 30 किलोमीटर में सिमट जाएगी।

 

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