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नीतीश थमा रहे नियोजित शिक्षकों को ‘लॉलीपॉप’, राज्यकर्मी का दर्जा तो दूर, नौकरी जाने की गारंटी पक्की!

बिहार के तकरीबन चार लाख संविदा शिक्षक सरकारी शिक्षक का दर्जा पाने के लिए लगातार मांग करते रहे हैं। वर्षों पूर्व संविदा शिक्षक के रूप में पंचायतों और नगर निकायों द्वारा नियुक्त इन शिक्षको की बौखलाहट तब बढ़ गई, जब तकरीबन पौने दो लाख सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग ने विज्ञापन निकाला। सरकार बार-बार संविदा शिक्षकों को आश्वासन देती रही कि उनके लिए अलग से नियमावली बनाई जा रही है। अब नियमावली का ड्राफ्ट जारी हो गया है। सरकारी शिक्षक बनाने के लिए तैयार हो गई है, बशर्ते शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास करें।

ठगे महसूस कर रहे हैं संविदा शिक्षक

संविदा शिक्षक सरकारी ओहदे की मांग कर रहे थे। आश्वासन भी मिलता रहा, लेकिन सरकारी शिक्षक बनने के लिए उनके सामने निर्धारित परीक्षा पास करने को कह दिया गया। सहूलियत के लिए परीक्षा साल में तीन बार होगी। जो संविदा शिक्षक परीक्षा पास नहीं कर पाएगा, उसे नौकरी से हाथ भी धोना पड़ेगा। भोजपुरी में एक कहावत ऐसे ही संदर्भ में खूब प्रचलित है- पूत मांगे गइली, भतार गंवा के अइली (बेटा मांगने गई थी, पति को ही गंवा बैठी)। यानी सरकारी शिक्षक बनने की गारंटी तो नहीं दे रही, लेकिन नौकरी से निकाले जाने की गारंटी पक्की।

सक्षमता परीक्षा पास करना जरूरी

हालांकि अभी इसका ड्राफ्ट जारी कर लोगों से इस पर आपत्तियां मांगी गई हैं, लेकिन शायद ही किसी को इस पचड़े में पड़ना पसंद आए। जाहिर है कि संविदा शिक्षक इसके लिए तैयार न हों, पर अब उनके पास कोई चारा भी नहीं बचा है। संविदा शिक्षकों के संगठन अब आगे क्या रुख अपनाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। इससे एक बात और साफ होती है कि सरकार को भी इन संविदा शिक्षकों की योग्यता पर भरोसा नहीं है। बिना स्क्रिनिंग अगर संविदा शिक्षकों को सरकारी बना दिया गया तो बहुतेरों को इसका लाभ मिल जाएगा। शायद यही वजह है कि सरकार के ड्राफ्ट में साल में तीन बार होने वाली परीक्षाओं में एक परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। सक्षमता परीक्षा पास करने के लिए तीन अवसर भी सरकार देगी। पास होने वाले शिक्षक को ही सरकारी शिक्षक माना जाएगा और उनका वेतन भी सरकारी शिक्षकों के बराबर हो जाएगा। संविदा शिक्षक समझ नहीं पा रहे कि क्या करें। एक तरफ परीक्षा देकर सरकारी ओहदे की उम्मीद है तो दूसरी ओर परीक्षा में फेल होने पर नौकरी जाने की गारंटी। हां, संविदा से सरकारी शिक्षक बने लोग विशिष्ट शिक्षक (Special Teacher) जरूर कहलाएंगे।

समान काम के लिए समान वेतन

संविदा शिक्षकों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि इस कवायद के बाद उनके पदनाम बदल जाएंगे और सरकारी शिक्षकों की तरह वेतनमान भी मिलेगा। सरकार के ड्राफ्ट में सक्षमता परीक्षा पास करने वाले कक्षा एक से पांच तक के ऐसे विशिष्ट शिक्षकों का मूल वेतनमान 25 हजार रुपए होगा। कक्षा छह से आठ तक के विशिष्ट शिक्षकों का मूल वेतन 28 हजार, कक्षा नौ से 10 तक के शिक्षकों को 31 हजार और कक्षा 11 से 12 तक के शिक्षकों को 32 हजार का मूल वेतन मिलेगा। समय-समय पर वेतन और भत्तों में संशोधन का प्रावधान भी किया गया है। बिहार टीचर रिक्रूटमेंट के नए ऑफिशियल नोटिफिकेशन के मुताबिक पहली से 5वीं तक के टीचर को वेतन के अलावा महगाई भत्ता (DA) 42% (10500) और आवास भत्ता (HRA) 8% (2000), CTA 2130, मेडिकल 1000, पेंशन फंड 3500 मिलेगा। कुल वेतन 44130 और नेट सैलरी 40630 मिलेगी।

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