अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह इस मामले में निर्णय लेंगे।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 13 नवंबर को कहा था कि राशिद इंजीनियर के खिलाफ दर्ज मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी अब सांसद बन चुके हैं, इसलिए 20 नवंबर को यह तय किया जाएगा कि मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित होगा या नहीं।
राशिद को 10 सितंबर को कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी, जिसे दो बार बढ़ाया गया, आखिरी बार 2 अक्टूबर को। 28 अक्टूबर को जमानत अवधि समाप्त होने पर उन्होंने तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण किया।
राशिद ने 2024 लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग एक लाख वोटों से हराया। उन्हें 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
एनआईए के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में हिंसा और हमले करते थे। 1993 में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस बनाई गई थी ताकि अलगाववादी गतिविधियां चलाई जा सकें।
एनआईए ने कहा कि हाफिज सईद और हुर्रियत नेताओं ने हवाला और अन्य माध्यमों से पैसा भेजकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया। इस धन का उपयोग घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षाबलों पर हमले, स्कूल जलाने और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया।


