लोकायुक्त सूत्रों के मुताबिक, खान से उनकी संपत्तियों के बारे में गहन पूछताछ की गई, जिन पर आरोप है कि वे उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक हैं।
मुख्य बिंदु:
DA मामले में पूछताछ: खान पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है।
IMA पोंजी घोटाले से जुड़ाव: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दौरान कथित वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं।
लोकायुक्त का हस्तक्षेप: ED ने लोकायुक्त को जानकारी सौंपी, जिसके बाद जांच तेज हुई।
जांच में बाधा: मामले की जांच पहले अदालती स्थगन के कारण रुकी हुई थी।
स्थगन हटने के बाद: स्थगन हटने के बाद जांच फिर से शुरू हुई और खान को समन जारी किया गया।
संपत्तियों की जांच: लोकायुक्त ने खान की संपत्तियों पर छापेमारी कर कई दस्तावेज जब्त किए।
खान का दावा: खान ने कहा कि उनकी संपत्तियां वैध रूप से अर्जित की गई हैं।
सहयोग का आश्वासन: मंत्री ने जांच में पूरी तरह सहयोग करने की बात कही।
वित्तीय रिकॉर्ड की मांग: लोकायुक्त ने खान से उनके वित्तीय रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
पारदर्शिता पर जोर: खान ने कहा, “मेरी संपत्तियां कानूनी हैं, और मैं अपनी पारदर्शिता साबित करूंगा।”
आरोपों का खंडन: मंत्री ने किसी भी गलत काम से इनकार किया।
जांच की प्रगति: यदि वित्तीय रिकॉर्ड में विसंगतियां पाई जाती हैं, तो जांच और सख्त हो सकती है।
जनता की प्रतिक्रिया: मामला जनता और राजनीतिक हलकों में काफी ध्यान आकर्षित कर रहा है।
पारदर्शिता पर जोर: कर्नाटक सरकार के एंटी-करप्शन अभियान के तहत यह मामला महत्वपूर्ण बन गया है।
कानूनी विशेषज्ञ की राय: इस मामले से सार्वजनिक अधिकारियों की जवाबदेही पर जोर दिया गया है।
राजनीतिक दबाव: विपक्ष ने सरकार पर इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करने का दबाव डाला है।
लोकायुक्त की भूमिका: जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने की कोशिश जारी है।
सार्वजनिक हित का मामला: यह मामला शासन में पारदर्शिता की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
आगे की कार्रवाई: लोकायुक्त खान के वित्तीय रिकॉर्ड का सत्यापन कर जांच की दिशा तय करेगा।
खान का बयान: मंत्री ने कहा, “मैंने हमेशा पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है और अपनी निर्दोषता साबित करूंगा।”


