मुख्य बिंदु:
हिंसा के मामले में आरोपियों में अब्दुल मलिक, अब्दुल मोएद और जावेद ने जमानत की अर्जी लगाई।
आरोपियों का कहना है कि उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर उन्हें फंसाया जा रहा है।
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार से चार्जशीट की मांग की।
जमानत याचिका में कहा गया कि आरोपियों का हिंसा में कोई हाथ नहीं है।
सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से चार्जशीट तैयार करने के लिए और समय मांगा।
कोर्ट ने आरोपियों के वकील से सबूत पेश करने की भी अपील की।
मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने कई आरोपियों को हिरासत में लिया है।
हिंसा में कई लोग घायल हुए थे और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था।
घटना के बाद पुलिस ने हल्द्वानी में धारा 144 लागू कर दी थी।
आरोपियों ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला संवेदनशील है और जांच में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं।
सरकार ने इस मामले को न्यायालय में पारदर्शिता के साथ रखने की बात कही है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है।
वकीलों का तर्क है कि आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा किया जाना चाहिए।
सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि मामले की जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी।
कोर्ट ने हिंसा की वजह से स्थानीय निवासियों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की।
जमानत याचिका पर फैसला चार्जशीट की प्रस्तुति के बाद किया जाएगा।
पुलिस ने घटना के पीछे संगठित साजिश की संभावना से इंकार नहीं किया है।
हल्द्वानी हिंसा ने राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं