हालांकि, पार्टी हाई कमान इस मामले को गंभीरता से देख रहा है।
मुख्य बिंदु:
उमर अब्दुल्ला ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के लिए ईवीएम को दोष देने पर कांग्रेस की आलोचना की।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई संसद भवन निर्माण के लिए प्रशंसा भी की।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाई कमान उमर की टिप्पणियों पर नजर रख रहा है।
उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा है।
एनसी और कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में साथ मिलकर प्रदर्शन किया था।
हालांकि, कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने से परहेज किया।
कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने एनसी की अनुच्छेद 370 पर रुख से खुद को अलग कर लिया।
कांग्रेस नेता भरतसिंह सोलंकी ने कहा, “ईवीएम पर टिप्पणी पर चुनाव आयोग जब कुछ कहेगा, तब हम जवाब देंगे।”
उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों को कांग्रेस में सत्ता में रहने की राजनीतिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
एनसी ने विधानसभा चुनाव में भाजपा की पूर्व सहयोगी पीडीपी पर निशाना साधकर फायदा उठाया।
कांग्रेस के अनुसार, एनसी ने विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस से गठबंधन का लाभ उठाया।
पार्टी ने यह भी कहा कि गठबंधन पर फिलहाल कोई बड़ा तनाव नहीं है।
कांग्रेस ने एनसी के साथ गठबंधन को सामान्य बताया और कहा कि दोनों दल नियमित संवाद कर रहे हैं।
एनसी और कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत बनाने की बात कही।
उमर की मोदी की तारीफ से गठबंधन में असहजता की स्थिति नहीं बनी है।
कांग्रेस का मानना है कि एनसी का मौजूदा रुख चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियां उनके राजनीतिक समीकरणों को दर्शाती हैं।
कांग्रेस हाई कमान इस मामले पर समय आने पर अपना पक्ष रखेगा।
एनसी और कांग्रेस दोनों का ध्यान जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भाजपा का विरोध करना है।
कांग्रेस गठबंधन के अंदर बेहतर संवाद और सामंजस्य बनाए रखने पर जोर दे रही है।