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विपक्षी एकता की बैठक: बिदके नीतीश बिगाड़ सकते हैं खेल! अंदर की खबर तो यहां है

राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों की बेंगलुरू में हुई दूसरी बैठक के बाद से ही इसमें बिखराव के रुझान भी आने लगे हैं। किसी ने अपने हाव-भाव से बिखराव के संकेत दिए तो कोई खुल कर बयान दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर यह कहते हैं कि एक दूसरे के खून के प्यासे और नफरत करने वाले लोग बेंगलुरू में साथ खड़े होकर भले मुस्कुरा रहे हों, पर सच यही है कि अपने-अपने राज्यों में लौटने के बाद ये फिर उसी राह पर चलेंगे, जिस पर चलते आए हैं, तो अटपटा नहीं लगता। पीएम मोदी की यह बात सच होने में 24 घंटे की भी देर नहीं हुई, जब सीपीएम के सीनियर लीडर सीताराम येचुरी ने कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी TMC से लेफ्ट का कोई समझौता नहीं होगा। सीपीआई की केरल यूनिट ने भी पहले ही स्पष्ट कर दि

नीतीश कुमार की तो भद ही पिट गई

विपक्षी एकता के लिए बेचैन बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए तो बेंगलुरू बैठक सबसे खराब साबित हुई। नीतीश के चार्टर्ड प्लेन ने जैसे ही बेंगलुरू एयरपोर्ट पर लैंड किया और वे बाहर निकले तो अपने स्वागत में लगे बैनर देख मिजाज गरम हो गया होगा। बैनर पर उनके नाम के साथ Unstable PM Candidate लिखा था। बैठक शुरू होने से पहले ही नीतीश के लिए यह बड़ा झटका था। इसलिए कि किसी भाजपा शासित राज्य में ऐसा हुआ होता तो यह माना जा सकता था कि बीजेपी की करतूत है। पर, यह तो कांग्रेस शासित कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में हुआ था। बैठक में भी नीतीश को उसी तरह की जगह बैठने को मिली, जैसी सीताराम येचुरी या नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को दी गई थी। बैठक का पूरा फोकस शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन जैसे बाहर से आए नेताओं पर था।

या है कि कांग्रेस के साथ किसी भी सीट पर समझौता नहीं होगा। यह स्थिति तब है, जब एक साथ खड़े होकर इनके नेता बेंगलुरू में हंसते-मुस्कुराते फोटो खिंचवा रहे थे।

नीतीश कुमार की किसी ने सुनी ही नहीं

बहरहाल, बैठक शुरू होने पर सबने कुछ-कुछ कहा, लेकिन नीतीश खामोशी ओढ़े रहे। उनसे किसी ने कोई सलाह भी नहीं मांगी। गठबंधन का नाम तय करते वक्त उन्होंने आपत्ति दर्ज करानी चाही भी, पर किसी ने उनको तवज्जो नहीं दी। राहुल गांधी ने जब UPA की जगह गठबंधन का नाम INDIA करने का प्रस्ताव रखा तो नीतीश ने सिर्फ इतना ही कहा कि इससे कन्फ्यूजन होगा। एनडीए और इंडिया मिलता-जुलता नाम है। पर, सबने वाह-वाह कर INDIA नाम ही फाइनल कर दिया। नीतीश कुमार के लिए यह तीसरा सेट बैक था। पहला उनकी बदनामी कराने वाला पोस्टर, दूसरा बैठने का स्थान और तीसरा बोलने का मौका न मिलना साथ ही एक सुझाव तक पर किसी ने विचार करने की जरुरत नहीं समझी।

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