विभिन्न मीडिया में उनके केसरिया वस्त्रों में तस्वीरें वायरल हुईं। हालांकि, बाद में रिचहरिया ने स्पष्ट किया कि वे कोई सन्यासी नहीं हैं।
इस घटना ने सोशल मीडिया पर काफी हंगामा खड़ा कर दिया है। कुछ लोगों ने रिचहरिया की आलोचना की और कहा कि उन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि लोगों को व्यक्तिगत रूप से किसी की धार्मिक मान्यताओं के बारे में निर्णय नहीं लेना चाहिए।
यह मामला एक बार फिर से धर्म और आधुनिकता के बीच के तनाव को उजागर करता है। सोशल मीडिया के युग में, लोग अपनी पसंद के अनुसार अपनी पहचान बना सकते हैं। लेकिन, इस तरह के कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने का खतरा भी रहता है।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है:
यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाती है कि कैसे सोशल मीडिया धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर सकता है। यह भी दिखाती है कि लोगों को धार्मिक प्रथाओं और परंपराओं के प्रति सम्मान रखना चाहिए।



