यह जमीन बैलारी रोड और जयमहल रोड के चौड़ीकरण के लिए ली जानी थी।
सरकार ने यह फैसला 3,017 करोड़ रुपये का ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) प्रमाणपत्र शाही परिवार को देने से बचने के लिए लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शाही परिवार द्वारा दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान इस जमीन की TDR वैल्यू तय करते हुए इसे छह हफ्तों में जारी करने का निर्देश दिया था।
कैबिनेट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई राशि सरकार के लिए व्यावहारिक नहीं है। इसलिए, एक आपातकालीन बैठक में अधिग्रहण का प्रस्ताव वापस लेने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही कैबिनेट ने एक अध्यादेश लाने का फैसला किया, जिससे सरकार को किसी भी परियोजना के अधिग्रहण से पूरी तरह या आंशिक रूप से पीछे हटने का अधिकार मिलेगा।
इस फैसले का मतलब है कि सरकार जमीन का अधिग्रहण कर सकती है या इसे छोड़ सकती है। कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा, “कैबिनेट ने जमीन अधिग्रहण का फैसला इसलिए रद्द किया क्योंकि इतनी बड़ी TDR राशि जारी करना वित्तीय बोझ बढ़ा सकता है।”
16 जनवरी को कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए TDR प्रमाणपत्र जारी करने का प्रस्ताव पारित किया था। कोर्ट ने 10 दिसंबर, 2024 को दिए आदेश में बैलारी रोड पर TDR की कीमत 2.83 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर और जयमहल रोड पर 2.04 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर तय की थी।
सरकार अब इस मुद्दे पर अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का सामना करेगी।


