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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पिता होने की जिज्ञासा किसी के निजता के अधिकार का हनन नहीं कर सकती.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति के पिता कौन हैं, यह जानने की जिज्ञासा किसी व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन नहीं कर सकती।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि डीएनए टेस्ट करवाना अनिवार्य नहीं है। यह फैसला एक ऐसे मामले में आया है जो पिछले दो दशकों से चल रहा था।
कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि उसका जैविक पिता कौन है। लेकिन साथ ही, किसी व्यक्ति की इच्छा के खिलाफ उसका डीएनए टेस्ट नहीं करवाया जा सकता है।
इस फैसले का क्या मतलब है?
- यह फैसला बताता है कि हर व्यक्ति को अपनी पहचान जानने का अधिकार है।
- यह फैसला यह भी बताता है कि किसी व्यक्ति की निजता का अधिकार भी महत्वपूर्ण है।
- इस फैसले से कई ऐसे मामलों में मदद मिलेगी जहां पितृत्व के बारे में विवाद होता है।



