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साड्डा हक, एत्थे रख! नीतीश की जी20 डिनर डिप्लोमेसी की इनसाइड स्टोरी

ये तय मान लीजिए कि आज यानी 09 सितंबर को सीएम नीतीश कुमार दिल्ली में होंगे। ये भी तय मानिए कि वो जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की डिनर पार्टी में भी आएंगे। राष्ट्रपति ने वैसे इसके लिए सभी राज्यों के सीएम को न्यौता दिया है। लेकिन इसमें नीतीश का आना बड़े इशारे कर रहा है। वो भी तब जब नीतीश समेत पूरा इंडिया मुंबई की बैठक से पहले नए लोकसभा भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर चुका था। लेकिन अब नीतीश का बदला रुख बड़े इशारे कर रहा है। 

‘साड्डा हक, एत्थे रख’

यकीनन मामला कुछ ऐसा ही है। नीतीश कुमार का जी20 डिनर में जाना यूं ही नहीं है। नीतीश चाहते तो इस निमंत्रण को टाल भी सकते थे। लेकिन वो यहां जाने के लिए तैयार हैं। सीधे शब्दों में समझिए तो नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव से नाराजगी दिखा रहे हैं और राहुल गांधी को आईना। हमारे विश्वस्त सूत्र ने बताया कि ‘नीतीश कुमार को वो तो हासिल हुआ नहीं जैसा कि 2022 के अगस्त में महागठबंधन बनने के बाद लालू प्रसाद यादव ने कहा था। पहली बात जब नीतीश लालू के साथ सोनिया से मुलाकात करने गए थे, तब बात कुछ और हुई थी। लेकिन अभी तक उसके लिहाज से इंडिया गठबंधन में नीतीश जी के साथ जो चीजें होनी चाहिए थीं, वो कहां हुईं। इंडिविजुअली, नीतीश जी कुछ गेन करते नजर नहीं आ रहे। कहां बात नीतीश की उम्मीदवारी की थी और कहां मुंबई बैठक से भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। संयोजक बनाए जाने की बात पर ही कांग्रेस आगे पीछे का रुख दिखा रही है। अब तो बात हक की है… साड्डा हक एत्थे रख।’

नीतीश राहुल गांधी को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत थोड़े ही कर रहे- सूत्र

इस विश्वसनीय सूत्र के मुताबिक ‘नीतीश जी ने इतनी राजनीति राहुल गांधी को आगे बढ़ाने के लिए तो की नहीं होगी। हर कोई खुद के लिए ख्वाहिश रखता है। एंड ऑफ द डे राहुल गांधी को टॉप पर पहुंचाने के लिए इतनी मेहनत तो की नहीं होगी। ऐसा थोड़े ही होता है कि दूसरों को बनाने के लिए कोई खुद को बर्बाद कर ले।’ कुल मिलाकर ये बातें बहुत कुछ साफ कर रही हैं। लेकिन अहम सवाल ये है कि क्या नीतीश फिर से पलटी मारेंगे?

नीतीश के अब बदलने का सवाल नहीं- सूत्र

इस सवाल का जवाब भी हमारे सूत्र ने दिया ‘अब बात अगर किसी डिनर में जाने की है तो ऐसा थोड़े ही होता है कि सबकुछ आपकी मर्जी से ही होगा। कुछ तो हमारी भी मर्जी होगी। लेकिन ये भी तय है कि नीतीश जी उधर (बीजेपी या एनडीए) नहीं जाने वाले। क्योंकि इस वक्त ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है।’ मगर सियासत में ये कहां लिखा होता है कि दोस्तों से नाराजगी भी न जाहिर की जाए। इसे प्रेशर पॉलिटिक्स तो नहीं कहिए लेकिन ये जरूर कह सकते हैं कि नीतीश अपने तेवरों से राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव को थोड़ा बैकफुट पर जाने को मजबूर जरूर कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस पूरी बात को एक शेर से समझिए कि ‘आदतन तुमने कर दिए वादे, आदतन हमने भी ऐतबार कर लिया।’

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