यह FIR एक संवेदनशील कविता के कथित एडिटेड वीडियो को पोस्ट करने के मामले में दर्ज की गई थी। अदालत ने कहा कि यह सिर्फ एक कविता है और इसका किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कोई संदेश नहीं है।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की बेंच के सामने यह मामला आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका को खारिज करते समय कविता के असली अर्थ को समझने की कोशिश नहीं की।
कांग्रेस सांसद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि हाईकोर्ट का आदेश कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “यह आखिरकार एक कविता है। इसका मकसद किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। कविता का संदेश यह है कि अगर कोई हिंसा करता है, तब भी हम हिंसा में शामिल नहीं होंगे।”
बेंच ने भी सिब्बल की बातों से सहमति जताई और कहा कि “यह कविता किसी विशेष समुदाय को निशाना नहीं बनाती।”
वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को इस पर विचार करने की सलाह दी और अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की।
गौरतलब है कि 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जामनगर में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
FIR में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक भड़काऊ गाने का एडिटेड वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।
अब अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तक राज्य सरकार को संपूर्ण जवाब तैयार करने का निर्देश दिया है।



