महिला को ‘अवैध पत्नी’ कहना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी महिला को 'अवैध पत्नी' या 'वफादार रखैल' कहना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने इसे भारतीय संविधान के आदर्शों और सिद्धांतों के खिलाफ बताया। अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 2004 के फैसले पर आपत्ति जताई, जिसमें एक महिला को ‘अवैध पत्नी’ कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे शब्दों का उपयोग भेदभावपूर्ण और महिलाओं के प्रति गलत नजरिए को दर्शाता है।
कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में ‘अवैध पत्नी’ जैसे शब्द गढ़े गए थे, जो पूरी तरह गलत और महिला विरोधी हैं। न्यायमूर्ति ओका ने अपने फैसले में कहा कि किसी पुरुष को ‘अवैध पति’ कहने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे लैंगिक असमानता साफ दिखती है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस तरह की भाषा का उपयोग महिलाओं की गरिमा और अधिकारों का हनन है।
“कोई भी महिला के लिए ऐसे अपमानजनक शब्दों का उपयोग नहीं कर सकता। यह न केवल गलत है, बल्कि अनुच्छेद 21 के तहत उनके सम्मान के अधिकार का उल्लंघन भी है,” सुप्रीम कोर्ट ने कहा।



