झारखंड के तामाड़ प्रखंड के देवरी गांव में स्थित 16 भुजा वाली मां दुर्गा का देवरी मंदिर आस्था और चमत्कार का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस प्राचीन मंदिर की ख्याति न केवल झारखंड बल्कि पूरे देशभर में फैली हुई है। मां दुर्गा की 16 भुजाओं वाली दुर्लभ प्रतिमा इस मंदिर को विशेष पहचान दिलाती है। हर साल यहां हजारों भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मां के दरबार में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा ने एक भक्त को स्वप्न में दर्शन दिए थे और इस स्थान पर उनकी मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद इस मंदिर की स्थापना की गई। यहां मां दुर्गा की प्रतिमा काले पत्थर की है, जिसमें उनकी 16 भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में मां के अलग-अलग शस्त्र और प्रतीक चिह्न हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक माने जाते हैं।
मंदिर के पुजारी के अनुसार, यहां मां के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रद्धालु अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय इस मंदिर में विशेष भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और दिन-रात भजन-कीर्तन होते हैं।
यह भी मान्यता है कि इस मंदिर में मां की पूजा मुस्लिम पुजारी भी करते हैं। यहां सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल देखने को मिलती है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग मिलकर मां की पूजा करते हैं।
मंदिर के आसपास का वातावरण शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक होता है। श्रद्धालु यहां घंटों ध्यान और पूजा-अर्चना करते हैं। प्रशासन द्वारा मंदिर परिसर की सुरक्षा और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
देवरी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सांप्रदायिक सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है। मां दुर्गा के इस दिव्य मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं और मां का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।


